गांधीजी तिरंगे में चरखा हटाने से बहुत दुखी हुए थे।
गांधीजी ने नए तिरंगे को सलाम करने से इनकार कर दिया।
गांधीजी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
गांधीजी ने तिरंगे में अशोक चक्र के उपयोग का विरोध किया।
चरखा सिर्फ सूत कातने का औजार नहीं, मानवता और सादगी का प्रतीक भी था।
चरखा गरीब और अमीर के बीच एक अटूट बंधन का प्रतीक था।
गांधीजी ने 1919 में तिरंगे की संस्तुति दी थी।