आपने लोगों को कई तरह के जानवर पालते देखा होगा यहां तक कि विदेशों में खतरनाक जीवों को भी पालतू जानवर के तौर पर रखा जाता है.
पशु संरक्षण अधिनियम 1972 के उल्लंघन पर धारा 2, 9, 29, 51 और धारा 52 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
कई लोग बंदरों को पालतू जानवर की तरह पालते हैं और सर्कस आदि में उनका इस्तेमाल करते हैं. कानून कहता है कि बंदरों का प्रदर्शन करना या उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है।
देशी तोते पालना प्रतिबंधित, विदेशी पक्षियों को रखने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी, यह वन्य जीव अधिनियम 1972 के अंतर्गत आता है.
अगर आपको अपने घर में मोर मिल जाए तो आपको वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मोर को छोड़ना होगा।
- कछुओं को घर लाना महंगा पड़ सकता है, इसके लिए वन विभाग आपसे 5000 रुपये तक का जुर्माना वसूल सकता है.
चिड़ियाघर और उसके परिसर में जानवरों को खिलाना, खिलाना या परेशान करना पीसीए के तहत एक दंडनीय अपराध है, जिसमें तीन साल तक की कैद, 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।