जीवन में सबसे मुश्किल कार्य है अपने आप को अंदर से मजबूत बनाना। खुद को अंदर से मजबूत बनाने का मतलब है इमोशनल ग्रोथ करना। इमोशनल ग्रोथ से बच्चे अपनी भावनाओं को समझ और नियंत्रित करना सीखते हैं।
अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना इमोशनल ग्रोथ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब हम अपने कंफर्ट जोन में रहते हैं तो हम नए अनुभवों और चुनौतियों से बचते हैं। इससे हमारी भावनाओं का विकास नहीं होता है।
यह स्वीकार करना जरूरी है कि हर कोई आपको पसंद नहीं कर सकता। हर व्यक्ति की सोचने और समझने की शक्ति अलग-अलग होती है। इसलिए दूसरों के विचारों के कारण खुद को निराश करने की आवश्यकता नहीं है।
जब आपको किसी चीज की आवश्यकता हो तो उसे निसंकोच के साथ मांगें। कोई व्यक्ति आपसे कितना भी प्यार करता हो, लेकिन वह आपके मन की बातें नहीं पढ़ सकता है। इसलिए अपनी जरूरतों को व्यक्त करने से न हिचकिचाएं।
हर किसी के जीवन में निराशाजनक लोग होते हैं। ऐसे लोगों से बचने का प्रयास करें। वे आपकी भावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
जीवन में अच्छा-बुरा दोनों ही समय आते हैं। बुरे समय को याद रखें और उससे सबक लें। इससे आपको अच्छे समय का अधिक आनंद लेने में मदद मिलेगी।
अपने जीवन के लिए एक रोडमैप तैयार कर सकते हैं। लेकिन दूसरों को नियंत्रित करने की कोशिश न करें। इससे आपको निराशा ही मिलेगी।