रंगोली भारतीय संस्कृति और परंपरागत कला का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका अस्तित्व प्राचीन समय से है।
रंगोली विशेष अवसरों और त्योहारों, जैसे कि दिवाली और नवरात्रि, पर बनाई जाती है ताकि घर में शुभ और सौभाग्य का आभास हो।
दक्षिण भारत में रंगोली को "कोलम" कहा जाता है। इसे बनाने के लिए फूलों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे "पूकल्लम" भी कहा जाता है।
उत्तर भारत में इसे "चौकपुराना" कहा जाता है।
महाराष्ट्र और गुजरात में इसे "रंगोली" कहा जाता है और इसे विभिन्न आकर्षक रंगों से सजाया जाता है।
राजस्थान में लोक कला या चित्रकला को "मांडना" कहा जाता है, और यह त्योहार और मुख्य उत्सवों पर जमीन और दीवारों पर बनाया जाता है।
उत्तराखंड राज्य में "ऐपण" कहलाती है, जिसे पूजाघर, घर के बाहर और दीवारों पर बनाया जाता है।