ओपन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते समय छात्रों और टीचरों के बीच बातचीत की कमी होती है।
डिस्टेंस एजुकेशन में छात्र घर पर होते हैं, जिससे उनकी गंभीरता में कमी हो सकती है।
इसमें सुस्त छात्रों के लिए एक कलंक हो सकता है जो बातचीत से डरते हैं।
डिस्टेंस एजुकेशन प्रेरित नहीं कर सकता क्योंकि हर दिन कक्षा में नहीं होते।
सभी विषयों के लिए संकीर्ण पाठ्यक्रम नहीं होते हैं।
मौखिक संचार कौशल का विकास नहीं होता।
छात्रों को फीडबैक में विलंब होता है।