जाली मार्कशीट में पुराने परंपरागत फॉन्ट का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि अब ज्यादातर संस्थानों ने इसे बदल दिया है। मार्कशीट का डिज़ाइन और फॉन्ट आधुनिक है या नहीं, इस पर ध्यान दें।
जाली मार्कशीट में लिखे शब्दों पर ध्यान दें। कई बार इनमें गलतियां होती हैं। सेंटेंस फॉर्मेशन सही नहीं होता। मार्कशीट में लिखे शब्दों की जांच करें कि वे सही हैं या नहीं।
अगर किसी मार्कशीट पर डाउट होता है तो इंटरनेट पर मौजूद उसी संस्थान की दूसरी मार्कशीट से मिलान कर सकते हैं। मार्कशीट की डिज़ाइन, फॉन्ट, और प्रिंटिंग की गुणवत्ता में समानता है या नहीं, इसकी तुलना करें।
मार्कशीट के पेपर, प्रिंटिंग क्वालिटी और वॉटरमार्क पर फोकस करें। इन तीनों में कई ऐसे फर्क दिखते हैं जो इनके जाली होने का सबूत देते हैं। मार्कशीट के पेपर की गुणवत्ता, प्रिंटिंग की क्वालिटी, और वॉटरमार्क की जांच करें।
अगर आपके पास मार्कशीट के साथ वो कैंडिडेट भी है तो उससे यूनिवर्सिटी के बारे सवाल-जवाब करके भी फर्जीवाडे़ का पता लगा सकते हैं। उम्मीदवार को यूनिवर्सिटी के बारे में कुछ बुनियादी सवाल पूछें और उनके जवाबों की जांच करें।
मार्कशीट की तारीख देखें। अगर मार्कशीट की तारीख में किसी तरह की गड़बड़ी है, तो यह फर्जी होने की संभावना है।
मार्कशीट में दर्ज जानकारी की जांच करें। अगर कोई जानकारी गलत है, तो यह फर्जी होने की संभावना है।