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नवीनतम अध्ययन: बचपन के प्रतिभाशाली बच्चे वयस्कता में सफल नहीं होते

हालिया अध्ययन ने यह साबित किया है कि बचपन में प्रतिभाशाली बच्चे वयस्कता में हमेशा सफल नहीं होते। केवल 10% बच्चे जो बचपन में उत्कृष्टता दिखाते हैं, वे बाद में अपने क्षेत्र में विश्वस्तरीय बनते हैं। शोधकर्ताओं ने 34,000 से अधिक विश्वस्तरीय प्रदर्शनकर्ताओं का डेटा विश्लेषण किया और पाया कि बचपन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले और बाद में सफल होने वाले लोग अलग होते हैं। यह अध्ययन यह भी बताता है कि बचपन में एक ही क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने से मानसिक तनाव बढ़ता है। जानें इस अध्ययन के और भी महत्वपूर्ण निष्कर्ष।
 
नवीनतम अध्ययन: बचपन के प्रतिभाशाली बच्चे वयस्कता में सफल नहीं होते

बच्चों की प्रतिभा पर नया शोध



बचपन में प्रतिभाशाली बच्चों की सफलता: यह आम धारणा है कि जो बच्चे पढ़ाई, खेल या कला में बचपन में उत्कृष्टता दिखाते हैं, वे बड़े होकर भी सफल होते हैं। लेकिन हालिया अध्ययन ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है। शोध के अनुसार, केवल 10% बच्चे जो बचपन में शीर्ष प्रदर्शन करते हैं, वे वयस्कता में अपने क्षेत्र में विश्व स्तरीय प्रदर्शन करने वाले बनते हैं। इसका मतलब है कि प्रारंभिक सफलता भविष्य की सफलता की गारंटी नहीं है।


शोध के निष्कर्ष

क्या दर्शाता है शोध?


काइज़र्सलॉटरन-लैंडौ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 34,000 से अधिक विश्व स्तरीय प्रदर्शनकर्ताओं का डेटा विश्लेषण किया, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता, ओलंपिक पदक विजेता, शतरंज के ग्रैंडमास्टर और प्रसिद्ध संगीतकार शामिल थे। परिणामों ने दिखाया कि बचपन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले और बाद में जीवन में सर्वश्रेष्ठ बनने वाले लोग मुख्यतः अलग समूह थे।


धीमी प्रगति से मिलती है अधिक सफलता

धीरे-धीरे प्रगति का महत्व:


अध्ययन में पाया गया कि जो लोग बाद में जीवन में शीर्ष पर पहुंचे, वे बचपन में धीरे-धीरे प्रगति कर रहे थे। वे अपने प्रारंभिक वर्षों में अपनी आयु समूह में सर्वश्रेष्ठ नहीं थे। इसके अलावा, जिन्होंने बाद में महान सफलता प्राप्त की, उन्होंने युवा अवस्था में एक क्षेत्र में विशेषज्ञता नहीं हासिल की, बल्कि अपने विकल्पों को खुला रखा।


ऐतिहासिक उदाहरण

महान व्यक्तियों के उदाहरण:


यह पैटर्न समझाता है कि कई महान लोग स्कूल में औसत थे। अल्बर्ट आइंस्टीन, स्टीव जॉब्स, जे.के. राउलिंग, माइकल जॉर्डन और वॉल्ट डिज़्नी बचपन में शीर्ष छात्र नहीं थे, लेकिन बाद में दुनिया के सबसे बड़े नामों में से एक बन गए। आइंस्टीन को बचपन में भाषण में देरी थी और उसे कम बुद्धिमान माना जाता था, लेकिन वह बाद में 'सापेक्षता का पिता' बन गया।


10,000 घंटे के सिद्धांत पर सवाल

प्रशिक्षण का महत्व:


यह शोध प्रसिद्ध '10,000 घंटे के अभ्यास' सिद्धांत को भी चुनौती देता है। जबकि लंबे समय तक लगातार अभ्यास आवश्यक है, जल्दी शुरू करना सफलता की गारंटी नहीं है। कई माता-पिता इस विश्वास के आधार पर अपने बच्चों पर दबाव डालते हैं, जो हानिकारक हो सकता है।


बचपन में दबाव क्यों खतरनाक है?

मानसिक तनाव का प्रभाव:


अध्ययन से पता चलता है कि बचपन में एक चीज़ पर बहुत ध्यान केंद्रित करने से मानसिक तनाव बढ़ता है। जूनियर एथलीट अक्सर मजबूत शुरुआत करते हैं, लेकिन उनकी प्रगति बाद में रुक जाती है या वे थकावट का अनुभव करते हैं। दीर्घकालिक सफलता के लिए विविधता, संतुलन और बच्चों की रुचियों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है।