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ओडिशा में होम गार्ड भर्ती: 187 पदों के लिए 8000 से अधिक युवा पहुंचे

ओडिशा में होम गार्ड भर्ती परीक्षा ने बेरोजगारी की गंभीरता को उजागर किया है, जहां 187 पदों के लिए 8000 से अधिक युवा परीक्षा में शामिल हुए। इस भर्ती ने न केवल प्रशासन की तैयारियों की परीक्षा ली, बल्कि यह भी दर्शाया कि उच्च शिक्षित युवा भी छोटे पदों के लिए आवेदन करने को मजबूर हैं। जानें इस भर्ती के पीछे की कहानी और कांग्रेस के आरोपों के बारे में।
 
ओडिशा में होम गार्ड भर्ती: 187 पदों के लिए 8000 से अधिक युवा पहुंचे

ओडिशा में बेरोजगारी की गंभीरता का संकेत


ओडिशा में बेरोजगारी की स्थिति की गंभीरता का पता संबलपुर में आयोजित होम गार्ड भर्ती परीक्षा से चलता है। यहां केवल 187 पदों के लिए 8,000 से अधिक युवा परीक्षा में शामिल हुए।


उच्च शिक्षित युवाओं की भीड़

हालांकि न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता केवल पांचवीं पास थी, लेकिन बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा प्राप्त उम्मीदवार भी शामिल हुए। यह भर्ती न केवल प्रशासन की तैयारियों की परीक्षा थी, बल्कि रोजगार संकट की वास्तविकता को भी उजागर करती है।


भर्ती परीक्षा का आयोजन

संबलपुर पुलिस ने जमदारपाली एयरस्ट्रिप पर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया। इस परीक्षा में 24 थानों के होम गार्ड के रिक्त पदों को भरने के लिए हजारों अभ्यर्थी कतार में खड़े नजर आए। 187 पदों के लिए 8,000 से अधिक उम्मीदवारों की उपस्थिति ने बेरोजगारी की गंभीरता को दर्शाया।


कम योग्यता के बावजूद प्रतिस्पर्धा

होम गार्ड पदों के लिए न्यूनतम योग्यता केवल पांचवीं पास रखी गई थी, जबकि कार्य मुख्य रूप से पुलिस वाहनों को चलाने और बुनियादी कंप्यूटर कार्य में सहयोग करने का था। रोजाना 612 रुपये का मानदेय निर्धारित किया गया था। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में युवाओं का पहुंचना इस बात का संकेत है कि स्थायी और सम्मानजनक रोजगार के अवसर बेहद सीमित हो गए हैं।


सुरक्षा के कड़े इंतजाम

भीड़ को देखते हुए पुलिस ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। संबलपुर के एसपी मुकेश भामू के नेतृत्व में तीन अतिरिक्त एसपी, 24 इंस्पेक्टर, 86 सब-इंस्पेक्टर और एएसआई तैनात किए गए। इसके अलावा 100 से अधिक होम गार्ड और ट्रैफिक कर्मी भी तैनात किए गए।


कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने इस भर्ती को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं का परीक्षा देना देश में रोजगार संकट की भयावह स्थिति को दर्शाता है।


रोजगार नीति पर सवाल

सामाजिक चिंतक कान्हू चरण बेहुरा ने इस स्थिति को राज्य की रोजगार और आर्थिक योजना की विफलता बताया। उनका कहना है कि रोजगार योजना का अभाव और युवाओं के लिए सम्मानजनक नौकरियों की कमी इस संकट की जड़ हैं।