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NSG कमांडो: एक साधारण सैनिक से काला बिल्ली बनने की यात्रा

NSG कमांडो, जिन्हें काला बिल्ली कहा जाता है, देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है, जिसमें शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि एक साधारण सैनिक कैसे NSG कमांडो बनता है और उनकी ट्रेनिंग प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं के बारे में।
 
NSG कमांडो: एक साधारण सैनिक से काला बिल्ली बनने की यात्रा

NSG कमांडो की कठिन ट्रेनिंग



NSG कमांडो देश की सबसे खतरनाक परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित होते हैं। उनकी ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है। आइए जानते हैं कि एक साधारण सैनिक कैसे काला बिल्ली कमांडो बनता है।


जब देश को सबसे बड़े खतरे का सामना करना पड़ता है, तो सबसे भरोसेमंद बल NSG कमांडो होते हैं, जिन्हें काला बिल्ली भी कहा जाता है। उनकी ट्रेनिंग अत्यंत कठिन होती है, और यह कहानी है एक साधारण सैनिक से विशेष कमांडो बनने की।


NSG कमांडो भारत की एक विशेष सुरक्षा बल का हिस्सा हैं, जो आतंकवाद और बड़े खतरों से निपटने के लिए तैयार होते हैं। ये कमांडो काले वर्दी पहनते हैं, इसी कारण इन्हें काला बिल्ली कहा जाता है, और ये जरूरत पड़ने पर सबसे पहले कार्रवाई करते हैं।


NSG में सीधी भर्ती नहीं होती। पहले सेना या किसी अन्य सुरक्षा बल में सेवा करनी होती है। वहां से चुने गए फिट और अनुशासित सैनिकों को आगे की प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है।


NSG के लिए चयन प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। यह सैनिक की शारीरिक ताकत, मानसिक संतुलन और दबाव में प्रदर्शन करने की क्षमता का परीक्षण करती है। इसी कारण बहुत कम लोग इस चरण को पार कर पाते हैं।


ट्रेनिंग के दौरान, सैनिकों को दौड़ना, हथियारों का संचालन, रैपेलिंग और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संचालन करना सिखाया जाता है ताकि वे हर स्थिति में सही निर्णय ले सकें।


कमांडो को ऐसे माहौल में प्रशिक्षित किया जाता है जहां डर और दबाव दोनों होते हैं, ताकि वास्तविक मिशनों के दौरान कोई स्थिति उन्हें कमजोर न कर सके।


अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, NSG कमांडो हमेशा देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं और संकट के समय लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।