सृष्टि की IAS सफलता की कहानी: कठिनाइयों से मिली प्रेरणा
सृष्टि की प्रेरणादायक यात्रा
नई दिल्ली: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इस परीक्षा की तैयारी करते हुए नौकरी करना और शीर्ष रैंक प्राप्त करना असाधारण मेहनत की आवश्यकता होती है, जिसे सृष्टि ने सफलतापूर्वक किया है।
सृष्टि ने न केवल परीक्षा उत्तीर्ण की, बल्कि रैंक-6 प्राप्त कर IAS में स्थान बनाया। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि सीमित संसाधनों और समय के बावजूद, दृढ़ संकल्प से बड़े लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।
संघर्ष से मिली प्रेरणा
दिल्ली में पली-बढ़ी सृष्टि का बचपन आसान नहीं था। पिता के साथ न होने के कारण उनकी मां ने अकेले ही परिवार का पालन-पोषण किया। मां के संघर्ष ने सृष्टि में जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित की। उन्होंने जल्दी ही समझ लिया था कि शिक्षा ही उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाएगी, और इसी सोच ने उन्हें लगातार मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा का महत्व
सृष्टि ने हमेशा पढ़ाई को गंभीरता से लिया। उन्होंने इंद्रा ट्रस्ट कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और IGNOU से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई के दौरान, उन्होंने सिविल सेवा को अपना लक्ष्य बना लिया था। विषय की गहरी समझ और नियमित अध्ययन ने उनकी तैयारी की मजबूत नींव रखी, जिसका लाभ उन्हें परीक्षा में मिला।
नौकरी का अनुभव
सिविल सेवा परीक्षा से पहले, सृष्टि ने भारतीय रिजर्व बैंक में नौकरी की और सामाजिक न्याय मंत्रालय में भी कार्य किया। यह अनुभव उनके लिए सीखने का एक महत्वपूर्ण अवसर बना। हालांकि, उनका सपना IAS बनने का था, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी।
पढ़ाई और नौकरी का संतुलन
8 से 9 घंटे की नौकरी के साथ UPSC की तैयारी करना आसान नहीं था। सृष्टि ने लंच ब्रेक में पढ़ाई की, ऑफिस की लाइब्रेरी का उपयोग किया और छुट्टियों का भी उपयोग किया। उन्होंने नियमित रूप से रिवीजन और प्रैक्टिस को अपनी आदत बना लिया। नींद और आराम में कटौती कर उन्होंने अपने समय का अधिकतम उपयोग किया।
पहले प्रयास में सफलता
साल 2023 में, सृष्टि ने अपने पहले प्रयास में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की और रैंक-6 हासिल की। उनकी यह सफलता धैर्य, निरंतर मेहनत और आत्मविश्वास का परिणाम रही। आज IAS अधिकारी के रूप में, सृष्टि लाखों अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और यह साबित करती हैं कि मजबूत इच्छाशक्ति से असंभव भी संभव हो सकता है।
