सुप्रीम कोर्ट का आदेश: सभी शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करना अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना अनिवार्य कर दिया है। यह आदेश उन शिक्षकों पर भी लागू होगा जो पहले से सरकारी नौकरी में हैं। कोर्ट ने सभी कार्यरत शिक्षकों को TET पास करने के लिए दो साल का समय दिया है, अन्यथा उन्हें अपनी नौकरी खोने का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, कुछ शिक्षकों को TET से छूट दी गई है।
TET की अनिवार्यता का इतिहास
वास्तव में, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने 29 जुलाई 2011 को कक्षा 1 से 8 तक की नियुक्तियों के लिए TET को अनिवार्य किया था। अब, कोर्ट के सामने यह महत्वपूर्ण प्रश्न था कि क्या इस अधिसूचना से पहले नियुक्त शिक्षकों को भी सेवा में बने रहने या पदोन्नति के लिए TET पास करना आवश्यक है।
क्या कार्यरत शिक्षकों को भी TET पास करना होगा?
हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि शिक्षकों को सेवा में बने रहने या पदोन्नति के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना होगा। यह निर्णय उन शिक्षकों पर भी लागू होता है जो कानून के लागू होने से पहले नियुक्त हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने TET को अनिवार्य क्यों बनाया?
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कई नागरिक अपीलों की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया, जिसमें अंजुमन इशात-ए-तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य शामिल थे, जो शिक्षकों की पात्रता से संबंधित थे।
अंजुमन इशात-ए-तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र राज्य मामला
इस ट्रस्ट ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें राज्य सरकारों द्वारा लागू TET की अनिवार्यता और RTE के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई। याचिका में पूछा गया कि क्या RTE अधिनियम और TET की शर्तें अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी लागू हो सकती हैं।
क्या अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों पर TET लागू होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्णय दिया कि TET कार्यरत शिक्षकों, पदोन्नति और नए शिक्षकों के लिए अनिवार्य होगा। कार्यरत शिक्षकों को TET पास करने के लिए दो साल का समय दिया गया है। हालांकि, यह आवश्यकता अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होगी। इस निर्णय को विचार के लिए बड़े पीठ के पास भेजा गया है।
किस शिक्षकों के लिए TET अनिवार्य नहीं है?
वर्तमान में, अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों और कुछ गैर-अल्पसंख्यक स्कूलों के शिक्षकों को TET की आवश्यकता से छूट दी गई है। बड़े पीठ यह तय करेगी कि अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों के लिए TET की आवश्यकता है या नहीं। साथ ही, कोर्ट ने उन शिक्षकों को TET की आवश्यकता से बाहर रखा है जो 5 वर्षों के भीतर रिटायर होने वाले हैं।
क्या TET पास न करने पर हजारों शिक्षकों की नौकरी जाएगी?
हाँ, जिन शिक्षकों की रिटायरमेंट में 5 से अधिक वर्ष बचे हैं, उन्हें किसी भी हाल में 2 वर्षों के भीतर TET पास करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें अपनी नौकरी खोने का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे शिक्षकों को स्वयं जल्दी रिटायरमेंट लेना होगा। रिटायरमेंट या बर्खास्तगी की स्थिति में, शिक्षकों को रिटायरमेंट लाभ भी दिए जाएंगे।
कोर्ट के निर्णय का 50 लाख से अधिक शिक्षकों पर प्रभाव
देशभर में सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या लगभग 50 लाख है। इनमें सबसे अधिक संख्या (16 लाख से अधिक) उत्तर प्रदेश में है। इसके बाद मध्य प्रदेश में 7 लाख से अधिक और राजस्थान में लगभग 8 लाख शिक्षक हैं।
