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दीपेश कुमारी: संघर्ष से सफलता की कहानी

दीपेश कुमारी की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद IAS अधिकारी बनने में सफल रहीं। उनके पिता की मेहनत और उनके संघर्ष ने उन्हें प्रेरित किया। दीपेश ने UPSC परीक्षा में AIR 93 हासिल किया और झारखंड कैडर में IAS के रूप में शामिल हुईं। उनकी उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। जानें कैसे उन्होंने अपने सपनों को साकार किया।
 
दीपेश कुमारी: संघर्ष से सफलता की कहानी

सफलता की प्रेरणा


सफलता केवल धन या विशेषाधिकार पर निर्भर नहीं करती—यह मेहनत, दृढ़ संकल्प और धैर्य से अर्जित की जाती है। राजस्थान के भरतपुर की दीपेश कुमारी की कहानी इस सत्य को बखूबी दर्शाती है। आर्थिक कठिनाइयों से जूझते हुए भी, उसने अपने संघर्षों को प्रेरणा में बदलते हुए IAS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।


प्रारंभिक जीवन की कठिनाइयाँ

दीपेश के पिता, गोविंद कुमार, ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए कई वर्षों तक सड़कों पर पकोड़े और नाश्ते बेचे। उनका परिवार, जिसमें सात सदस्य थे, लगभग 25 वर्षों तक एक छोटे से एक कमरे के घर में रहा। जीवन कभी आसान नहीं था, लेकिन दीपेश ने शिक्षा के प्रति अपने समर्पण को बनाए रखा।


शैक्षणिक उपलब्धियाँ

दीपेश हमेशा से एक प्रतिभाशाली छात्रा रही हैं। उन्होंने कक्षा 10 में 98% और कक्षा 12 में 89% अंक प्राप्त किए। इसके बाद, उन्होंने MBM इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर से सिविल इंजीनियरिंग में B.Tech किया और फिर IIT बॉम्बे से M.Tech की।


अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने एक निजी कंपनी में एक वर्ष काम किया। लेकिन उनका सपना स्पष्ट था—वह सिविल सेवाओं में शामिल होना चाहती थीं। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी में पूरी तरह से जुट गईं।


UPSC यात्रा: असफलता से सफलता तक

दीपेश ने 2020 में UPSC परीक्षा में पहली बार प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हो पाईं। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। दीपेश दिल्ली चली गईं, जहां उन्होंने अपनी बचत के सहारे अपनी तैयारी जारी रखी।


2021 में, उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने परीक्षा में AIR 93 हासिल किया और EWS श्रेणी में 4th रैंक प्राप्त की। उन्हें झारखंड कैडर आवंटित किया गया और उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हो गईं।


परिवार और समाज के लिए प्रेरणा

दीपेश की उपलब्धि ने उनके पूरे परिवार को प्रेरित किया। उनके एक भाई ने AIIMS गुवाहाटी में MBBS की पढ़ाई शुरू की है, जबकि उनकी बहन दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर के रूप में काम कर रही हैं। एक अन्य भाई लातूर में पढ़ाई कर रहा है।


दीपेश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता के बलिदानों को दिया। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “जब भी मैं थकी हुई या हतोत्साहित महसूस करती, मैं अपने पिता के संघर्षों के बारे में सोचती, और इससे मुझे आगे बढ़ने की ताकत मिलती।”


उनकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि परिस्थितियों के बावजूद सपने साकार किए जा सकते हैं। आज, दीपेश कुमारी उन अनगिनत युवा आकांक्षियों के लिए एक आदर्श बन गई हैं जो सीमित संसाधनों के बावजूद सफलता की ओर बढ़ना चाहते हैं।