दिल्ली में स्कूल फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए नई समिति का गठन
दिल्ली स्कूल फीस: नई पहल
दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर रोक लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने फीस नियमन कानून के तहत स्कूल स्तर पर फीस नियामक समिति (SLFRC) के गठन का निर्देश दिया है। इस आदेश के अनुसार, सभी निजी स्कूलों को 10 जनवरी, 2026 तक इस समिति का गठन करना अनिवार्य होगा।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि यह निर्णय माता-पिता को राहत प्रदान करने और फीस वृद्धि में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब कोई भी निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ा सकेगा। यदि किसी स्कूल को फीस बढ़ानी है, तो उसे समिति के समक्ष एक वैध कारण और प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा।
फीस नियामक समिति के मुख्य बिंदु:
1. सभी स्कूलों में स्कूल स्तर पर फीस नियामक समिति (SLFRC) का गठन अनिवार्य है।
2. SLFRC का गठन 10 जनवरी, 2026 तक किया जाना चाहिए।
3. समिति के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम स्कूल के नोटिस बोर्ड और वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किए जाएंगे।
4. 5 माता-पिता के प्रतिनिधि और 3 शिक्षक प्रतिनिधियों का चयन लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा।
5. लॉटरी की तारीख, समय और स्थान की जानकारी कम से कम 7 दिन पहले सार्वजनिक की जानी चाहिए।
6. स्कूल प्रबंधन को 25 जनवरी, 2026 तक SLFRC को प्रस्तावित फीस संरचना प्रस्तुत करनी होगी।
7. SLFRC को फीस प्रस्ताव पर 30 दिनों के भीतर एक तर्कसंगत निर्णय लेना होगा।
8. नियमों के उल्लंघन, देरी या मनमानी कार्रवाई के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू है, और अनुपालन के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।
समिति में 5 माता-पिता के प्रतिनिधि होंगे।
इस 11-सदस्यीय समिति में 5 माता-पिता के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति में स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों के प्रतिनिधि भी होंगे। सभी फीस वृद्धि से संबंधित प्रस्तावों को 25 जनवरी, 2026 तक समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। समिति प्रस्ताव पर चर्चा करेगी और अपनी सिफारिशें देगी, जिसके बाद निर्णय लिया जा सकेगा।
निदेशालय ने आदेश जारी किए
इस बीच, दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) ने भी इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार, फीस निर्धारण समितियों का गठन न केवल स्कूल स्तर पर, बल्कि जिला स्तर पर भी किया जाएगा ताकि किसी भी अनियमितता की निगरानी की जा सके। जिला स्तर की समिति माता-पिता की शिकायतों को भी सुनेगी।
