Logo Naukrinama

भूतपूर्व इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन कौन हैं? जो करेंगे NTA की समीक्षा

नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने को लेकर हंगामा मचा हुआ है, विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बीच सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। एक तरफ सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के प्रमुख को उनके पद से हटा दिया है,
 
भूतपूर्व इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन कौन हैं? जो करेंगे NTA की समीक्षा

नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने को लेकर हंगामा मचा हुआ है, विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बीच सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। एक तरफ सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के प्रमुख को उनके पद से हटा दिया है, वहीं दूसरी तरफ नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और गड़बड़ी रोकने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
NTA Review Committee Headed by Ex-ISRO Chairman K. Radhakrishnan: What to Know

सरकार द्वारा गठित समिति में सात सदस्य हैं। इसकी अध्यक्षता इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. राधाकृष्णन करेंगे। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस समिति का उद्देश्य एनटीए द्वारा आयोजित पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त परीक्षाओं के संचालन के लिए सिफारिशें प्रदान करना है। राधाकृष्णन समिति को सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने के लिए दो महीने का समय दिया गया है। तो, समिति के अध्यक्ष कौन हैं? आइए जानें।

डॉ. राधाकृष्णन:

डॉ. राधाकृष्णन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं जो अकादमिक सुधारों के लिए वर्तमान सरकार के पसंदीदा व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित कई समितियों का नेतृत्व किया है। डॉ. राधाकृष्णन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। उनका जन्म 29 अगस्त, 1949 को केरल में हुआ था। उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने त्रिवेंद्रम के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, उसके बाद आईआईटी खड़गपुर से पीएचडी और आईआईएम बैंगलोर से पीजीडीएम की डिग्री प्राप्त की।

इसरो में कैरियर:

1971 में डॉ. राधाकृष्णन ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से अपना करियर शुरू किया। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. राधाकृष्णन विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक भी रहे। उनके मार्गदर्शन में इसरो ने अपने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाले मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। डॉ. जी. माधवन नायर की सेवानिवृत्ति के बाद डॉ. राधाकृष्णन ने इसरो के अध्यक्ष का पद संभाला। उनकी प्राथमिक प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन तैयार करना था।

सम्मान और पुरस्कार:

2009 से 2014 तक डॉ. राधाकृष्णन इसरो के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मार्स ऑर्बिटर मिशन और जीसैट श्रृंखला के उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। उन्होंने उपग्रह संचार, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान सहित भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 2014 में, उन्हें उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें उनके नेतृत्व और वैज्ञानिक योगदान के लिए कई अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।