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स्थानीय भाषाओं में परीक्षा दे सकेंगे उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र

जल्दी उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में दे सकेंगे। देशभर के सभी विश्वविद्यालय से कहा गया है कि वह विद्यार्थियों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दें।
 
स्थानीय भाषाओं में परीक्षा दे सकेंगे उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र
नई दिल्ली, 20 अप्रैल - जल्दी उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में दे सकेंगे। देशभर के सभी विश्वविद्यालय से कहा गया है कि वह विद्यार्थियों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दें। यूजीसी ने देशभर के सभी विश्वविद्यालय से कहा है कि भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो, लेकिन छात्रों को परीक्षा के दौरान स्थानीय भाषाओं में उत्तर देने का विकल्प दिया जाए।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने बताया कि आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया है कि विद्यार्थियों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दी जाए, भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो। मौलिक लेखन का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद तथा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में स्थानीय भाषा के उपयोग को विश्वविद्यालयों में बढ़ावा दिया जाए। शिक्षा में भारतीय भाषाओं का संवर्धन और नियमित उपयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ध्यान देने योग्य एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह नीति स्थानीय भाषाओं में शिक्षण और सम्प्रेषण के महत्व पर बल देती है। इसमें शिक्षार्थियों के बेहतर संज्ञानात्मक उपलब्धि और समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए सभी भारतीय भाषाओं में सम्प्रेषण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक यह उत्साहजनक है कि हमारे देश के प्रत्येक राज्य में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों द्वारा स्थानीय भाषाओं में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों को लाभ हुआ है। हालांकि, अकादमिक पारिस्थितिकी अभी भी सामान्य रूप से अंग्रेजी माध्यम केंद्रित ही बनी हुई है। यदि स्थानीय भाषाओं में शिक्षण, अधिगम और मूल्यांकन को सु²ढ़ किया जाए तो इससे शिक्षण अधिगम में विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ेगी, जिससे उनके सफलता दर में वृद्धि होगी। यह 2035 तक उच्चत्तर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 27 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के परिकल्पित लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयासों को विशेष रूप से मजबूती प्रदान करेगा।

प्रोफेसर कुमार के मुताबिक स्थानीय भाषाओं में पाठ्य-पुस्तकों के निर्माण तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को बढ़ावा देने में उच्चतर शिक्षा संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सशक्त करने तथा स्थानीय भाषाओं में पाठ्य-पुस्तकों के लेखन एवं मानक पुस्तकों का अन्य भाषाओं में अनुवाद सहित शिक्षण में उनके उपयोग को प्रोत्साहि करने जैसे पहल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

इन व्यवस्थाओं को लागू करवाने के लिए यूजीसी ने विभिन्न विश्वविद्यालयों से कई जानकारियां भी मांगी है। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालयों से उनके यहां स्थानीय भाषाओं में उपयोग की जाने वाली पाठ्य पुस्तकों की विषय-वार सूची पूछी गई है। ऐसे मुख्य विषयों की विषयवार सूची मांगी गई है जिसके लिए पाठ्य-पुस्तकों को स्थानीय भाषाओं में अनुवादित किया जाना चाहिए।