सिसोदिया ने एलजी को लिखा पत्र, शिक्षकों के प्रशिक्षण संबंधी फाइल वापस करने का आग्रह
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को पत्र लिखकर उनसे सरकारी शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने संबंधी फाइल वापस करने का आग्रह किया। फाइल एलजी को 20 जनवरी को भेजी गई थी।
Fri, 24 Feb 2023

नई दिल्ली, 24 फरवरी - दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को पत्र लिखकर उनसे सरकारी शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने संबंधी फाइल वापस करने का आग्रह किया। फाइल एलजी को 20 जनवरी को भेजी गई थी। पत्र में कहा गया है, "मैं आपसे फाइल वापस करने का आग्रह करता हूं, ताकि हम सरकारी स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने की प्रक्रिया शुरू कर सकें।"
सिसोदिया ने कहा, "आधिकारिक प्रावधान के अनुसार, एक मंत्री के निर्णय के साथ मतभेद और उसके समाधान के लिए विचार-विमर्श पूरा करने के लिए एलजी को 15 दिनों की अवधि मिलती है। इसलिए, संविधान और टीबीआर के अनुसार, हमारे सरकारी स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का निर्णय लिया है।"
आम आदमी पार्टी के नेता ने पत्र में कहा, "आपके द्वारा दो बार की गई आपत्तियों को दूर करने के बाद हमने आपको 20 जनवरी, 2023 को दिल्ली सरकार के स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने से संबंधित फाइल फिर से भेजी थी।"
उन्होंने पत्र में आगे कहा, "शिक्षकों के दो बैचों को क्रमश: दिसंबर, 2022 और मार्च, 2023 में प्रशिक्षण के लिए विदेश जाना था। उस समय आपके बार-बार आपत्ति जताने के कारण पहला बैच नहीं जा सका। अगला बैच मार्च, 2023 में जाने के लिए तैयार है। मगर फाइल आपके कार्यालय में एक महीने से अधिक समय से लंबित है।"
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि "दिल्ली सरकार का इस (शिक्षा) पर विशेष कार्यकारी नियंत्रण है और एलजी के पास शिक्षा के मामले में कोई निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं है।"
सिसोदिया ने कहा, "हालांकि, अगर वह किसी मंत्री के किसी भी निर्णय से असहमत हैं, तो वह मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। राष्ट्रपति को मामला भेजने से पहले, वह संबंधित मंत्री के साथ विमर्श कर सकते हैं और इस मामले को मंत्रिपरिषद को भेज सकते हैं। संविधान और टीबीआर, 1993 के अनुसार, उन्हें चर्चा के माध्यम से मुद्दे को हल करने की जरूरत है।"
सिसोदिया ने कहा, "आधिकारिक प्रावधान के अनुसार, एक मंत्री के निर्णय के साथ मतभेद और उसके समाधान के लिए विचार-विमर्श पूरा करने के लिए एलजी को 15 दिनों की अवधि मिलती है। इसलिए, संविधान और टीबीआर के अनुसार, हमारे सरकारी स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का निर्णय लिया है।"
आम आदमी पार्टी के नेता ने पत्र में कहा, "आपके द्वारा दो बार की गई आपत्तियों को दूर करने के बाद हमने आपको 20 जनवरी, 2023 को दिल्ली सरकार के स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने से संबंधित फाइल फिर से भेजी थी।"
उन्होंने पत्र में आगे कहा, "शिक्षकों के दो बैचों को क्रमश: दिसंबर, 2022 और मार्च, 2023 में प्रशिक्षण के लिए विदेश जाना था। उस समय आपके बार-बार आपत्ति जताने के कारण पहला बैच नहीं जा सका। अगला बैच मार्च, 2023 में जाने के लिए तैयार है। मगर फाइल आपके कार्यालय में एक महीने से अधिक समय से लंबित है।"
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि "दिल्ली सरकार का इस (शिक्षा) पर विशेष कार्यकारी नियंत्रण है और एलजी के पास शिक्षा के मामले में कोई निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं है।"
सिसोदिया ने कहा, "हालांकि, अगर वह किसी मंत्री के किसी भी निर्णय से असहमत हैं, तो वह मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। राष्ट्रपति को मामला भेजने से पहले, वह संबंधित मंत्री के साथ विमर्श कर सकते हैं और इस मामले को मंत्रिपरिषद को भेज सकते हैं। संविधान और टीबीआर, 1993 के अनुसार, उन्हें चर्चा के माध्यम से मुद्दे को हल करने की जरूरत है।"