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3 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षण- अध्यापन सामग्री 'जादुई पिटारा'

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप शिक्षा मंत्रालय ने 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षण-अध्यापन सामग्री 'जादुई पिटारा' लॉन्च की है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत विकसित 'जादुई पिटारा' 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।
 
नई दिल्ली, 20 फरवरी (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप शिक्षा मंत्रालय ने 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षण-अध्यापन सामग्री 'जादुई पिटारा' लॉन्च की है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत विकसित 'जादुई पिटारा' 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।  जादुई पिटारा में यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल किताबें ही नहीं, बल्कि सीखने और सिखाने के लिए अनगिनत संसाधनों का उपयोग किया जाना है। जैसे कि खिलौने, पहेलियां, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, वर्कशीट्स और आकर्षक किताबें, स्थानीय परिवेश जादुई पिटारा में ये सभी समाहित हैं।  जादुई पिटारा के अंतर्गत कक्षा 1 और 2 पर लागू (उम्र 6-8 साल) बच्चे खेलते, मजे करते हुए सीखेंगे। खास तौर पर 5 क्षेत्रों में सीखना और विकास शामिल होगा इनमें शारीरिक विकास, सामाजिक-भावनात्मक नैतिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, भाषा एवं साक्षरता विकास, सुरुचिपूर्ण एवं सांस्कृतिक विकास, सीखने की सकारात्मक आदतों को इस चरण में विकास के एक अन्य क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है।  केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्लेबुक, खिलौने, पहेलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, कहानी की किताबें, वर्कशीट के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संदर्भ और भाषाओं को मिलाकर बना 'जादुई पिटारा' जिज्ञासा को बढ़ाने और लोगों की विविध आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सीखने-सिखाने के माहौल को समृद्ध करने और अमृत पीढ़ी के लिए इसे और अधिक बाल-केंद्रित, जीवंत और आनंदमय बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है जैसा कि एनईपी 2020 में परिकल्पना की गई है।  उन्होंने ने एक राष्ट्रीय विचार मंच (थिंक-टैंक) के रूप में एनसीईआरटी से आग्रह किया कि सभी भारतीय भाषाओं में 'जादुई पिटारा' में सम्मिलित सामग्री का अनुवाद करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए। इसकी पहुंच का विस्तार करने के साथ-साथ इसे सभी एससीईआरटी को बचपन में देखभाल और हमारे देश के शिक्षा परि²श्य में बदलाव के लिए उपलब्ध कराना चाहिए। इन संसाधनों को डिजिटल रूप से दीक्षा प्लेटफॉर्म-पोर्टल और मोबाइल ऐप पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि सभी बुनियादी शिक्षण सामग्री मातृभाषा में होनी चाहिए। एनसीईआरटी ने प्रशिक्षकों की हैंडबुक मैपिंग से लेकर फाउंडेशनल स्टेज पर शिक्षकों के भविष्य के प्रशिक्षण के लिए एनसीएफ-एफएस के लक्ष्यों के लिए पंच कोषीय विकास और पाठ्यक्रम विकसित किया है।  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 पाठ्यक्रम शैक्षणिक संरचना की परिकल्पना की गई है। शिक्षा मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने प्रत्येक चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा विकसित करने के लिए प्रो. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुनियादी चरण (एफएस) के लिए 20 अक्टूबर, 2022 को एनसीएफ की शुरूआत की गई थी और पाठ्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार, एनसीईआरटी ने अध्ययन शिक्षण सामग्री (एसटीएम) विकसित और एकत्र की है। तदनुसार, बुनियादी चरण के लिए अध्ययन-शिक्षण सामग्री की 'जादुई पिटारा' की अवधारणा का उपयोग करते हुए इसका शुभारंभ किया गया। शिक्षकों व छात्रों के एनईपी और एनसीएफ-एफएस को व्यवहार में लाने की उम्मीद है।
नई दिल्ली, 21 फरवरी -  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप शिक्षा मंत्रालय ने 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षण-अध्यापन सामग्री 'जादुई पिटारा' लॉन्च की है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत विकसित 'जादुई पिटारा' 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।

जादुई पिटारा में यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल किताबें ही नहीं, बल्कि सीखने और सिखाने के लिए अनगिनत संसाधनों का उपयोग किया जाना है। जैसे कि खिलौने, पहेलियां, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, वर्कशीट्स और आकर्षक किताबें, स्थानीय परिवेश जादुई पिटारा में ये सभी समाहित हैं।

जादुई पिटारा के अंतर्गत कक्षा 1 और 2 पर लागू (उम्र 6-8 साल) बच्चे खेलते, मजे करते हुए सीखेंगे। खास तौर पर 5 क्षेत्रों में सीखना और विकास शामिल होगा इनमें शारीरिक विकास, सामाजिक-भावनात्मक नैतिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, भाषा एवं साक्षरता विकास, सुरुचिपूर्ण एवं सांस्कृतिक विकास, सीखने की सकारात्मक आदतों को इस चरण में विकास के एक अन्य क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्लेबुक, खिलौने, पहेलियां, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, कहानी की किताबें, वर्कशीट के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संदर्भ और भाषाओं को मिलाकर बना 'जादुई पिटारा' जिज्ञासा को बढ़ाने और लोगों की विविध आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सीखने-सिखाने के माहौल को समृद्ध करने और अमृत पीढ़ी के लिए इसे और अधिक बाल-केंद्रित, जीवंत और आनंदमय बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है जैसा कि एनईपी 2020 में परिकल्पना की गई है।

उन्होंने ने एक राष्ट्रीय विचार मंच (थिंक-टैंक) के रूप में एनसीईआरटी से आग्रह किया कि सभी भारतीय भाषाओं में 'जादुई पिटारा' में सम्मिलित सामग्री का अनुवाद करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए। इसकी पहुंच का विस्तार करने के साथ-साथ इसे सभी एससीईआरटी को बचपन में देखभाल और हमारे देश के शिक्षा परि²श्य में बदलाव के लिए उपलब्ध कराना चाहिए। इन संसाधनों को डिजिटल रूप से दीक्षा प्लेटफॉर्म-पोर्टल और मोबाइल ऐप पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि सभी बुनियादी शिक्षण सामग्री मातृभाषा में होनी चाहिए। एनसीईआरटी ने प्रशिक्षकों की हैंडबुक मैपिंग से लेकर फाउंडेशनल स्टेज पर शिक्षकों के भविष्य के प्रशिक्षण के लिए एनसीएफ-एफएस के लक्ष्यों के लिए पंच कोषीय विकास और पाठ्यक्रम विकसित किया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 पाठ्यक्रम शैक्षणिक संरचना की परिकल्पना की गई है। शिक्षा मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने प्रत्येक चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा विकसित करने के लिए प्रो. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुनियादी चरण (एफएस) के लिए 20 अक्टूबर, 2022 को एनसीएफ की शुरूआत की गई थी और पाठ्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार, एनसीईआरटी ने अध्ययन शिक्षण सामग्री (एसटीएम) विकसित और एकत्र की है। तदनुसार, बुनियादी चरण के लिए अध्ययन-शिक्षण सामग्री की 'जादुई पिटारा' की अवधारणा का उपयोग करते हुए इसका शुभारंभ किया गया। शिक्षकों व छात्रों के एनईपी और एनसीएफ-एफएस को व्यवहार में लाने की उम्मीद है।