जानिएं, ये वृक्ष क्यों बनाए गए भारतीय राज्यों के राजकीय वृक्ष
जानिएं, ये वृक्ष क्यों बनाए गए भारतीय राज्यों के राजकीय वृक्ष
भारत भर में सभी वनस्पति शानदार है, इसकी भूमि और पेड़ को हमेशा ज्ञान और अध्यात्म के साथ संबद्ध किया गया है। यह देखना अच्छा होगा कि कैसे भारतीय उपमहाद्वीप में पेड़ भारत के रूप को सुंदर बनाते हैं। इन पेड़ों में औषधीय गुण होते हैं, और इनमें से कुछ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। इसलिए नौकरीनामा.कॉम आपके लिए भारतीय राज्यों के आधिकारिक राजकीय वृक्षों की एक सूची ला रहा है:
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आंध्र प्रदेश: राजकीय वृक्ष- नीम
नीम भारतीय घरों में एक परिचित नाम है। यह केवल भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। यह इसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह इसके द्वारा बनाई जाने वाली जड़ी-बूटियों के लिए लोकप्रिय है। इसके बीजों से नीम का तेल बनाया जाता है, जो आयुर्वेदिक और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
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अरूणाचल प्रदेश: राजकीय वृक्ष- होलोंग
यह एक कठोर लकड़ी वाला पेड़ है जो दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। इसका कोई पारंपरिक उपयोग नहीं किया जाता है। लेकिन यह सदियों से अरूणाचल प्रदेल के लोगों द्वारा आवास निर्माण कार्य में उपयोग किया जाता है। यह अरूणाचल का स्तंभ है।
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असम: राजकीय वृक्ष- होलोंग
होलोंग एक मध्यम दृढ़ लकड़ी, इमारती लकड़ी का पेड़ है। यह असम और अरूणाचल प्रदेश के जंगलों में प्राकृतिक रूप से ऊपर बढ़ता है। आज, होलोंग प्लाईवुड उधोग में प्रयोग किया जाता है। होलोंग असम की मोरान समुदाय के सदस्यों के लिए एक पवित्र वृक्ष है। इसी के कारण, यह असम का राजकीय वृक्ष है।
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बिहार: राजकीय वृक्ष- पीपल
यह वह पेड़ है जिसके तहत गौतम बुद्ध ने अपने तरीके से ज्ञान प्राप्त किया था। इसलिए, इसका संस्कृत अर्थ “ज्ञान” और “प्रबोधन” है। यह हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों द्वारा पवित्र माना जाता है। यह स्वास्थ्य लाभ में लाभदायक है और बिहार में हर पंचायत सभा इस पेड़ के नीचे होती है!
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छत्तीसगढ़: राजकीय वृक्ष- साल
साल भारत में दृढ़ इमारती लकड़ी के सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोतों में से एक है, यह काटने में थोड़ा मुश्किल है, और काटते ही लकड़ी के रंग में प्रकाश सा प्रतित होता है, लेकिन बाद में यह गहरे भूरे रंग का हो जाता है। यह पेड़ का हिंदू परंपरा में कई धार्मिक मूल्य रखता है, और भगवान विष्णु द्वारा अनुग्रहप्राप्त माना जाता है।
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गोवा: राजकीय वृक्ष- मट्टी
यह दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों में पाया जाता है। मट्टी की लकड़ी का फर्नीचर, कैबिनेट कार्य, विशेषता आइटम, बढ़ईगीरी, नावों आदि का निर्माण के रूप में उपयोग किया जाता है। इस पेड़ की अद्भुत विशेषता यह है जब मौसम शुष्क होता है, तब यह कुछ प्रजातियों के सदस्यों की पानी भंडारण की क्षमता रखता है। यह गर्मी के दिनों के लिए बहुत अच्छा है!
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गुजरात: राजकीय वृक्ष- आम
आम को सभी फलों का राजा माना जाता है, यह भारत का राष्ट्रीय फल भी है। “सामान्य आम” या “भारतीय आम” की केवल आमतौर पर कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खेती की जाती है। इसकी पत्तियां सदाबहार है और यह कई चिकित्सा प्रयोजनों के लिए जाना जाता है।
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हरियाणा: राजकीय वृक्ष- पीपल
पीपल लगभग भारत के हर राज्य में पाया जाता है। पीपल का पेड़ दुनिया में पाए जाने वाले बहुत उपयोगी पेड़ों में से एक है। इस पेड़ का महत्व देश के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रयोगों से स्पष्ट है। इसका पूराण और अन्य धार्मिक पुस्तकों में विवरण है। यह औषधीय प्रयोजनों के लिए भी जाना जाता है, पेट में दर्द और विभिन्न विकारों को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है।
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हिमाचल प्रदेश: राजकीय वृक्ष- देवदार
यह एक सदाबहार पेड़ है और यह अद्भूत लंबाई 60 मीटर तक पहुंच सकता है! हिंदू इस पेड़ को एक देव वृक्ष के रूप में मानते हैं, इसलिए हिंदुओं में इस वृक्ष की पूजा की जाती है। यहां देव मतलब देवता या परमात्मा है। यह अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह एक सजावटी पेड़ है जो आमतौर पर उधान, पार्कों में इसके पत्तों की वजह से उगाया जाता है।
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जम्मू और कश्मीर: राजकीय वृक्ष- चिनार
चिनार एक बड़ा पेड़ है, जो प्रकृति में पर्णपाती है और 30 मीटर तक बढ़ता है। यह अपनी लंबी उम्र के साथ इसके प्रसार ताज के लिए लोकप्रिय है। चिनार की छाल और पत्तों का औषधि में प्रयोग किया जाता है। यह फीता लकड़ी या घर के अंदर फर्नीचर प्रयोजन के लिए काफी मूल्यवान है।
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झारखंड: राजकीय वृक्ष- साल
साल भारत में दृढ़ इमारती लकड़ी के प्रमुख महत्वपूर्ण स्त्रोतों में से एक है। इसके साथ इसके कई धार्मिक गुण हैं। बौद्ध परंपराओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि साक्या की रानी माया ने साल के वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को जन्म दिया था।
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कर्नाटक: राजकीय वृक्ष- चन्दन
चन्दन अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और इसके पेड़ों जैसी अद्वितीय प्राकृतिक खुशबू आपकों अन्य किसी पेड़ों से कभी नहीं मिल सकती है। चंदन की लकड़ी का पेस्ट त्वचा रोगों के लिए एक बेहतर इलाज है। इसका पेस्ट हिंदू धर्म में तिलक के रूप में प्रयोग लिया जाता है। चंदन के अन्य उपयोग तेल और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में है।
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केरल: राजकीय वृक्ष- नारियल
नारियल केरल में केवल एक प्रमुख पेड़ नहीं है, बल्कि केरल की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हिंदू धर्म में, नारियल का एक विशाल और प्राचीन महत्व है। केरल में लगभग गतिविधि नारियल के साथ शुरू होती है। पूरे भारत में हर नया काम जमीन पर एक नारियल तोड़ कर उद्घाट्न किया जाता है, यह देवी लक्ष्मी की कृपा के रूप में शुभ माना जाता है।
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मध्य प्रदेश: राजकीय वृक्ष- बरगद
बरगद का पेड़ हिंदुओं और अन्य धार्मिक परंपराओं के लिए पवित्र वृक्षों में से एक है, यह मध्य प्रदेश राज्य का राजकीय वृक्ष भी है। बरगद के पेड़ को कल्पवृक्ष, बेनियान, वटवृक्ष, या बड़ भी कहा जाता है। कई साधु और संतों को इस वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति हुई है। इस तरह से इसका सांस्कृतिक महत्व है। जिसके कारण यह भारत का राष्ट्रीय वृक्ष भी है।
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महाराष्ट्र: राजकीय वृक्ष- आम
आम एक स्टोन फ्रूट के रूप में लोकप्रिय है, और महाराष्ट्र का राजकीय वृक्ष भी है। औसतन आम के पेड़ की ऊंचाई 35 40 मीटर होती है, प्रत्येक स्पाइस विभिन्न प्रकार के आमों का उत्पादन करते हैं जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है। आम में विटामिन ए, सी, बी6 और बहुत सारे फाइबर जैसे पोषक तत्व हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।
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मणिपुर: राजकीय वृक्ष- तून
यह एक बहुत ही वुलनेरेबल पेड़ है जो एशिया में पाया जाता है, यह कठोर जलवायु परिस्थितियों मेंकिसी भी प्रकार में उगाया जा सकता है। यह लकड़ी की जरूरत के लिए प्रयोग किया जाता है। यहीं मुख्य कारण है कि यह दुनिया से कम होता जा रहा है, लेकिन अब सरकार इसकी रक्षा कर रही है। इसके अलावा, यह कई चिकित्सा गुण रखता है, जिससे मानव शरीर में विभिन्न रोगों का इलाज किया जाता है।
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मेघालय: राजकीय वृक्ष- सफेद सागौन
गामरी वृक्ष या सफेद सागौन एक तेजी से बढऩे वाला पौधा है, यह भारत के कुछ ही हिस्सों में में पाया जाता है। गामरी पेड़ की छाल और जड़ वैज्ञानिक रूप से भूख में सुधार, बवासीर, माया, पेट दर्द आदि में बहुत उपयोगी होने का दावा करता है। इसके फूल भी बहुत उपयोगी होते हैं।
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मिजोरम: राजकीय वृक्ष- आयरनवुड
लोहा लकड़ी पेड़ घने जंगलों और नदियों के किनारे तेजी से बढऩे के कारण इनके पास उगाया जाता है। यह 30 फीट तक लंबा हो सकता है। लोहा लकड़ी के पेड़ लॉन या छाया के लिए भी लगाए जाते हैं। इसके अलावा, घने गर्मी के मौसम में इसके पत्ते त्वचा के बचाव का काम करते हैं।
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नागालैंड: राजकीय वृक्ष- आल्डर
आल्डर नागालैंड राज्य का राजकीय वृक्ष है, और इसकी प्रजातियां 30 से ऊपर है। इसके फूल केटकिंस कहे जाते हैं। नागा लोग इसे कई वर्षों से जानते हैं, इसके महत्व की वजह से यह पेड़ उनके बीच में खास जगह रखता है।
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उड़ीसा: राजकीय वृक्ष- बरगद
बरगद का पेड़ विशाल होता है, और इसकी शाखाएं जमीन में अंदर मिल कर इसका अच्छा समर्थन करती है। इसके पत्ते बड़े, चमकदार, और हरे रंग में अंडाकार होते हैं। यह वृक्ष बड़ी छाया रखता है, मूल रूप से यह सभा या बैठकों के विभिन्न प्रकारों के लिए जगह के इस्तेमाल में किया जाता है।
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पुडुचेरी: राजकीय वृक्ष- बेल
बेल, सोने का सेब, जापानी कड़वी नारंगी, स्टोन एप्पल, या लकड़ी का सेब के रूप में जाना जाता है, यह भारत के मूल वृक्ष की एक प्रजाति है। यह दक्षिण-पूर्व एशिया को देशीयकृत प्रजाति के रूप में प्रस्तुत करता है। बेल पेड़ हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है। इसका फल पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।
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पंजाब: राजकीय वृक्ष- शीशम
यह शीशम कई नामों से जाना जाता है, जिनमें भारतीय शिशम, सिसु, तिरूगुडु जावा, सहित अन्य कई नाम है। शीशम के पेड़ सबसे अच्छी अद्भूत लकड़ी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह केबिन फर्नीचर बनाने के लिए सबसे अच्छा है। हालांकि, इसे एक बहुत महत्वपूर्ण ईधन की लकड़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह विशेष रूप से आश्रय और छाया के लिए प्रयोग किया जाता है।
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राजस्थान: राजकीय वृक्ष- खेजड़ी
यह ज्यादातर एशिया के पश्चिमी, और पूर्वी भागों में पाया जाता है, और यह मटर परिवार से संबंध रखता है। इस पेड़ की लकड़ी ईधन प्रयोजन के लिए एक बड़ा स्त्रोत है। यह अच्छी गुणवत्ता का कोयला भी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा इसकी फली, पत्तियां बहुत फायदेमंद चारा रहे हैं। राजस्थान में इसकी पूजा की जाती है, और इसके साथ ऐतिहासिक महत्व जुड़ा हुआ है। इसी कारण यह राजस्थान का राजकीय वृक्ष है।
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सिक्किम: राजकीय वृक्ष- रोडोडेंड्रन
सिक्किम राज्य का राजकीय वृक्ष रोडोडेंड्रन है। इस पेड़ के लाल सुंदर और शानदार फूल गहरे हरे रंग के पत्तों के साथ होते हैं। पेड़ मूल रूप से सिक्किम राज्य में स्थानीय जनजातियों द्वारा ईधन प्रयोजन के लिए प्रयोग किया जाता है। सिक्किम राज्य में रहने वाली विभिन्न जनजातियां इस वृक्ष को बहुत ही शुभ वृक्ष के रूप में मानती है।
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तमिलनाडु: राजकीय वृक्ष- पाल्मायरा खजूर
खजूर के पेड़ तमिलनाडु राज्य जैसी गर्म जलवायु में बड़े हो रहे हैं। पाम के पेड़ का उपयोग मानव सभ्यता जितना पुराना है। इससे आसानी से समझा जा सकता है कि खजूर के पेड़ का महत्वपूर्ण उपयोग होता है। इसको पवित्र बाइबल में 30 बार और पवित्र कुरान में 22 बार वर्णित किया गया है।
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तेलंगाना: राजकीय वृक्ष- जम्मी
यह पेड़ पश्चिम एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में उगाया जाता है। यह मटर परिवार में एक फूल का पेड़ है। यह एक अच्छा ईधन का स्त्रोत, और उत्कृष्ट लकड़ी का कोयला प्लस जलाऊ लकड़ी, चारा, हरी खाद, और बकरी की कांटेदार बाड़ प्रदान करता है। इस पेड़ का फल पशुओं के लिए एक उत्कृष्ट फीडर है। यह तेलंगाना का गौरव है।
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त्रिपुरा: राजकीय वृक्ष- अगर
यह पेड़ विविध भौगोलिक पृष्ठभूमि स्थानों पर पाया जाता है। अगर वुड पूर्वोत्तर भारत के वर्षावन से जापान तक पाए जाते हैं। अगर और चंदन लकड़ी के उपयोग में मामूली मतभेद हैं, मौजूदा बाजार में अगर वुड चंदन वुड की तुलना में चार गुना महंगा है! यह वृक्ष भारत के त्रिपुरा सहित कुछ स्थानों पर पाया जाता है। यह त्रिपुरा राज्य का राजकीय वृक्ष है।
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उत्तराखंड: राजकीय वृक्ष- बुरंस
बुरंस एक छोटा सा पेड है और ज्यादातर थाइलैंड, चीन, म्यांमार, भूटान, भारत जैसे देशों में पाया जाता है। इस पेड़ की औसत ऊंचाई 12 मीटर तक होती है। वसंत के मौसम के दौरान 15 से 20 घंटी के आकार के सुंदर फूल खिल जाते है। यह अपनी सुंदरता, मूल रूप से छाया प्रदान करने, उधान सजाने, और ईधन उद्देश्य के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह भारतीय राज्य उत्तरांचल का राजकीय वृक्ष है।
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उत्तर प्रदेश: राजकीय वृक्ष- अशोक
अशोक का वृक्ष अपने सुंदर सुगंधित फूल और पत्तियों के लिए बेशकीमती है। यह पेड़ छोटा, सुंदर, सदाबहार पेड़ के अलावा हरे रंग के सुंदर पत्तों के घने समूहों में बढऩे के लिए जाना जाता है। यह भारत के कई राज्यों में पाया जाता है। यह कठोर जलवायु परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है।
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पश्चिम बंगाल: राजकीय वृक्ष- चैतियन
पश्चिम बंगाल के राजकीय वृक्ष में कई औषधीय गुण है। यह कागज उधोग में प्रमुख योगदान के लिए जाना जाता है। स्थानीय लोगों के बीच यह “दिता” के नाम से लोकप्रिय है। पेड़ से कई धार्मिक तार जुड़े हुए हैं।
