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जानिए- क्यों यूपी के स्कूलों में लागू होगा नीदरलैंड का अर्ली वॉर्निंग सिस्टम? इसकी खासियत जानिए

उत्तर प्रदेश सरकार 'प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली' का अध्ययन करने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में 12 सदस्यीय टीम नीदरलैंड भेजेगी। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि इस मॉडल से राज्य को स्कूल छोड़ने वालों को फिर से नामांकित करने में मदद मिलने की संभावना है।
 
लखनऊ, 20 फरवरी (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश सरकार 'प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली' का अध्ययन करने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में 12 सदस्यीय टीम नीदरलैंड भेजेगी। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि इस मॉडल से राज्य को स्कूल छोड़ने वालों को फिर से नामांकित करने में मदद मिलने की संभावना है।  बच्चों को स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए नीदरलैंड ने एक 'प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली' विकसित की है। प्रणाली के तहत, एक बच्चे को अधिकारियों द्वारा ट्रैक किया जाता है यदि वह 40 दिनों से अधिक समय तक स्कूल से अनुपस्थित रहता है।  फिर माता-पिता (या अभिभावकों) से संपर्क किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चा स्कूल लौट आए।  इसी तरह का मॉडल जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है ताकि स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में कमी लाई जा सके।  'नीदरलैंड्स' मॉडल को लागू करने के साथ-साथ राज्य माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना बना रहा है। इस साल के अंत तक इस सिस्टम के लागू होने की संभावना है।  बेसिक शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में 2020-21 में लगभग 4.81 लाख बच्चे स्कूल से बाहर पाए गए।  यह आंकड़ा 2021-22 में 4 लाख और 2022-23 में 3.30 लाख से ज्यादा था।  स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने कहा कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की तर्ज पर अनुपस्थित बच्चों-स्कूल न जाने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का विशेष प्रयास किया जाएगा।
लखनऊ, 20 फरवरी- उत्तर प्रदेश सरकार 'प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली' का अध्ययन करने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में 12 सदस्यीय टीम नीदरलैंड भेजेगी। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि इस मॉडल से राज्य को स्कूल छोड़ने वालों को फिर से नामांकित करने में मदद मिलने की संभावना है।

बच्चों को स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए नीदरलैंड ने एक 'प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली' विकसित की है। प्रणाली के तहत, एक बच्चे को अधिकारियों द्वारा ट्रैक किया जाता है यदि वह 40 दिनों से अधिक समय तक स्कूल से अनुपस्थित रहता है।

फिर माता-पिता (या अभिभावकों) से संपर्क किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चा स्कूल लौट आए।

इसी तरह का मॉडल जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है ताकि स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में कमी लाई जा सके।

'नीदरलैंड्स' मॉडल को लागू करने के साथ-साथ राज्य माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना बना रहा है। इस साल के अंत तक इस सिस्टम के लागू होने की संभावना है।

बेसिक शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में 2020-21 में लगभग 4.81 लाख बच्चे स्कूल से बाहर पाए गए।

यह आंकड़ा 2021-22 में 4 लाख और 2022-23 में 3.30 लाख से ज्यादा था।

स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने कहा कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की तर्ज पर अनुपस्थित बच्चों-स्कूल न जाने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का विशेष प्रयास किया जाएगा।