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कर्नाटक हाईकोर्ट ने कक्षा 5 और 8 के छात्रों के लिए 'बोर्ड' परीक्षा अनिवार्य करने वाले सर्कुलर को रद्द किया

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस शैक्षणिक वर्ष से पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया है।
 
बेंगलुरू, 10 मार्च (आईएएनएस)| कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस शैक्षणिक वर्ष से पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया है। शिक्षा मंत्रालय इस शैक्षणिक वर्ष से बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार था। न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह येरुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नियमानुसार पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं अगले साल से आयोजित की जा सकती हैं।  आरयूपीएसए के अध्यक्ष लोकेश तालिकत्ते ने पांचवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए सार्वजनिक परीक्षा को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने 12 दिसंबर 2022 के आदेश में शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से नई मूल्यांकन प्रक्रिया को चुनौती दी थी।  आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर एकलपीठ के समक्ष याचिका दायर की गई थी। अपील बाद में खंडपीठ के समक्ष दायर की गई थी।  मुख्य न्यायाधीश पीबी वराले और न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भी सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ राय दी है। सिंगल बेंच का आदेश खंडपीठ के निर्देश के बाद दिया गया है।  पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। छात्रों के माता-पिता ने इन कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा की आवश्यकता पर सवाल उठाया था। आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग ट्यूशन माफिया को बढ़ावा दे रहा है।  जब सुरेश कुमार शिक्षा मंत्री थे तब भी छात्रों के परिजनों के विरोध के कारण निचली कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव पहले भी ड्रॉप्ड कर दिया गया था।
बेंगलुरू, 11 मार्च- कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस शैक्षणिक वर्ष से पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया है। शिक्षा मंत्रालय इस शैक्षणिक वर्ष से बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार था। न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह येरुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नियमानुसार पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं अगले साल से आयोजित की जा सकती हैं।

आरयूपीएसए के अध्यक्ष लोकेश तालिकत्ते ने पांचवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए सार्वजनिक परीक्षा को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने 12 दिसंबर 2022 के आदेश में शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से नई मूल्यांकन प्रक्रिया को चुनौती दी थी।

आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर एकलपीठ के समक्ष याचिका दायर की गई थी। अपील बाद में खंडपीठ के समक्ष दायर की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश पीबी वराले और न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भी सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ राय दी है। सिंगल बेंच का आदेश खंडपीठ के निर्देश के बाद दिया गया है।

पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। छात्रों के माता-पिता ने इन कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा की आवश्यकता पर सवाल उठाया था। आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग ट्यूशन माफिया को बढ़ावा दे रहा है।

जब सुरेश कुमार शिक्षा मंत्री थे तब भी छात्रों के परिजनों के विरोध के कारण निचली कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव पहले भी ड्रॉप्ड कर दिया गया था।