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Bihar News:गांव के बच्चों के लिए मददगार बना ‘दीदी पुस्तकालय’, लड़कियां पढ़ाई के साथ गढ़ रही हैं जीवन के सपने

बिहार के मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर के रहने वाली 15 वर्षीय अराधना को सामुदायिक पुस्तकालय में न केवल कई लेखकों की लिखी पुस्तकें पढ़ने को मिल जा रही है, बल्कि कई छात्र-छात्राओं से विचार विमर्श होने के बाद कई प्रकार के 'डाउट' भी साफ हो जा रहे हैं। यह खुशी किसी एक अराधना की नहीं है
 
- बिहार के मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर के रहने वाली 15 वर्षीय अराधना को सामुदायिक पुस्तकालय में न केवल कई लेखकों की लिखी पुस्तकें पढ़ने को मिल जा रही है, बल्कि कई छात्र-छात्राओं से विचार विमर्श होने के बाद कई प्रकार के 'डाउट' भी साफ हो जा रहे हैं। यह खुशी किसी एक अराधना की नहीं है
पटना,1 मई- बिहार के मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर के रहने वाली 15 वर्षीय अराधना को सामुदायिक पुस्तकालय में न केवल कई लेखकों की लिखी पुस्तकें पढ़ने को मिल जा रही है, बल्कि कई छात्र-छात्राओं से विचार विमर्श होने के बाद कई प्रकार के 'डाउट' भी साफ हो जा रहे हैं। यह खुशी किसी एक अराधना की नहीं है, कई ऐसे छात्र-छात्राएं को दीदी पुस्तकालय यानी सामुदायिक पुस्तकालय ने यह दी है।

सिंहेश्वर के इस सामुदायिक पुस्तकालय का शुभारंभ इसी साल 10 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। राज्य सरकार द्वारा 'जीविका' के तहत स्थापित इस पुस्तकालय में प्रतिदिन बड़ी संख्या में बच्चे आते हैं। ग्रामीण विकास विभाग के तहत बिहार रूरल लाइवलीहुड्स प्रमोशन सोसाइटी के माध्यम एक आजीविका परियोजना है।

बिहार में 32 जिलों में कम से कम 100 ऐसे ससामुदायिक पुस्तकालय प्रखंड स्तर पर खोले गए हैं।

सामुदायिक पुस्तकालय में काम करने वाली एक महिला बताती है कि महिलाओं की अगुवाई वाले स्वयं सहायता समूहों और ग्राम संगठनों से गठित संकुल स्त्रीय संघ द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो में पुस्तकालय सह स्वाध्याय संस्कृति को बढ़ावा देने की यह योजना है।

राज्य के कई प्रखंडों में पुस्तकालय और करियर विकास केंद्र (सीएलसीडीसी) भी स्थापित किए गए हैं। सही अर्थों में इसका उद्देश्य शैक्षणिक, कौशल विकास, उद्यमिता एवं कैरियर समउत्थान सेवाओं एवं कार्यक्रमों की पहुंच सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में करने की है। विशेषकर लड़कियों, युवाओं व प्रथम पीढ़ी तक लाभ देने की है।

जीविका के मुख्य कार्यपालक अधिकारी राहुल कुमार कहते हैं कि जीविका द्वारा नवस्थापित 100 सामुदायिक पुस्तकालय सह करियर विकास केंद्रों (सीएलसीडीसी) का राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) द्वारा विभिन्न पाठ्यक्रमों का मान्यता प्राप्त अध्ययन केन्द्र के रूप में नव साक्षर जीविका की महिलाओं और उनके परिजनों, बीच में ही स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों व प्रथम पीढ़ी के शिक्षार्थियों, शारीरिक, मानसिक और ²ष्टि संबंधी अक्षमता वाले विद्यार्थियों के शैक्षणिक उत्थान का लक्ष्य रखा गया है।

उन्होंने आईएएनएस को बताया कि वर्तमान में सभी 100 सीएलसीडीसी में कुल 12,318 शिक्षार्थी निबंधित सदस्य हैं, जिसमें लगभग 80 प्रतिशत लड़कियां हैं। अप्रैल 2023 के अंतिम सप्ताह तक सीएलसीडीसी दैनिक औसतन आगमन 32 हैं।

जिला प्रशासन के सहयोग से प्रखंडस्तरीय पदाधिकारियों द्वारा कुल 100 में 63 सीएलसीडीसी की स्थापना के लिए सरकारी भवन का आवंटन किया गया है। शेष 37 प्रखंडों में सीएलसीडीसी का संचालन संबंधित संकुलस्तरीय संघ द्वारा किराया के भवनों में किया जा रहा है।

सीएलसीडीसी के संचालन के लिए चिन्हित भवन में एक हॉल, जिसमे लगभग 30-40 लोग बैठ सकते हैं और 2 कमरे हैं, जिसमें एक कमरा भौतिक व डिजिटल पुस्तकालय सह कार्यालय और दूसरा कमरा स्वाध्याय कक्ष के रूप में उपयोग किया जाता है।

हॉल का उपयोग आवश्यकतानुसार डिजिटल व भौतिक कक्षाओं के संचालन सहित अन्य शिक्षण-प्रशिक्षण गतिविधियां होती हैं।

सीएलसीडीसी में फर्नीचर, प्रिंटर, इंटरनेट, डिजिटल क्लासरूम हेतु प्रोजेक्टर व कंप्यूटर, भौतिक पुस्तकालय में कक्षा 9वीं से 12वीं पाठ्यपुस्तक सहित विभिन्न उच्च शिक्षा के प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी की 500 किताबें व डिजिटल पुस्तकालय में वीडियो, ऑडियो, ई-बुक व नोट्स के रूप में अध्ययन सामग्रियां उपलब्ध कराया गया है।

गांव में पुस्तकालय खुलने के बाद लाभ लेने वाले बच्चों के अभिभावक भी खुश हैं। सिंहेश्वर के रहने वाले रोहन राय जो राज्य के बाहर मजदूरी करते हैं, हाल में ही अपने गांव लौटे हैं। उनकी बेटी प्रतिदिन पुस्तकालय जाती है। राय कहते हैं कि घरों में लड़कियां सही ढंग से नहीं पढ़ पाती थी। पुस्तकालय इसके लिए वरदान साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि गांव में ऐसी सुविधा बेटियों की शिक्षा के क्षेत्र के लिए कारगर होगा।

बहरहाल, यह सामुदायिक पुस्तकालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल शिक्षा के आधार को बढ़ाया है बल्कि लड़कियों के लिए यह एक सुकून भरी जगह है जहां वे न केवल पढाई कर पा रही हैं बल्कि आने वाले जीवन के सपने भी गढ़ रही हैं।