बिहार: हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 22 हजार से ज्यादा B.Ed प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द
पटना उच्च न्यायालय ने प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में बिहार बीएड डिग्री धारकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। अदालत ने फैसला सुनाया कि बीएड डिग्री रखने वाले व्यक्ति बिहार में कक्षा 1 से 5वीं तक के शिक्षण पदों के लिए अयोग्य हैं। इसके बजाय, प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा (D.El.Ed) वाले उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय शिक्षण भूमिकाओं के लिए पात्र माना जाता है।
न्यायालय के फैसले का प्रभाव:
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एनसीटीई अधिसूचना की अमान्यता:
अदालत ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की 2018 अधिसूचना को अमान्य कर दिया, जिसने प्राथमिक विद्यालय शिक्षण नौकरियों के लिए बी.एड डिग्री अनिवार्य कर दी थी। -
पात्रता मानदंड:
मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की अगुवाई वाली खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल डी.ई.आई.एड. धारकों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, इन भूमिकाओं के लिए बी.एड डिग्री की आवश्यकता को चुनौती दी जा सकती है। -
नियुक्तियों पर प्रभाव:
इस फैसले से कक्षा 1 से 5 तक की भर्ती प्रक्रिया के छठे चरण के दौरान नियुक्त 22 हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे।
निर्णय के पीछे तर्क:
- शैक्षणिक दृष्टिकोण:
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक और उच्च कक्षाओं को पढ़ाने के लिए आवश्यक विशिष्ट कौशल सेट के अनुरूप होनी चाहिए। इसने एक छात्र की शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों के दौरान एक विशिष्ट शैक्षणिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित किया।
यह फैसला बिहार में प्राथमिक विद्यालय शिक्षक नियुक्तियों के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव पर प्रकाश डालता है, जिसमें विभिन्न शैक्षणिक स्तरों पर शिक्षण के लिए विशेष योग्यता के महत्व पर जोर दिया गया है।