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दिल्‍ली के स्‍कूलों के लिए वर्चुअल बुक फेयर का आयोजन, शिक्षक-स्‍टूडेंट्स चुन सकेंगे पसंद की किताबें

दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए गुरुवार को वर्चुअल मेगा बुक फेयर का आयोजन किया गया। मेगा बुक फेयर के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से शिक्षा निदेशालय के स्कूल अपने पुस्तकालयों के लिए बेहतरीन किताबें को चुन सकेंगे।
 
नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)| दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए गुरुवार को वर्चुअल मेगा बुक फेयर का आयोजन किया गया। मेगा बुक फेयर के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से शिक्षा निदेशालय के स्कूल अपने पुस्तकालयों के लिए बेहतरीन किताबें को चुन सकेंगे। वे पब्लिशर्स को ऑनलाइन आर्डर दे पाएंगे और किताबें स्कूलों तक पहुंच जाएगी। सरकार के मुताबिक इससे समय की काफी बचत होगी और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहेगी।  स्कूल में लाइब्रेरी की किताबें स्कूल के डोरस्टेप तक पहुचे और बच्चों के क्लास रूम तक पहुंचे उसके लिए केजरीवाल सरकार द्वारा मेगा बुक फेयर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें 340 पब्लिशर भाग ले रहे हैं और 8000 पुस्तकें शामिल हैं।  दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां सरकार के सभी स्कूलों के अध्यापक व बच्चे अपनी पसंद से अपनी लाइब्रेरी के लिए किताबों का चयन हर साल करते हैं।  सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है जहां सरकार के सारे स्कूल एक साथ इस तरह से बुक फेयर में वर्चुअल रूप से शामिल हो रहे हैं। इसका उद्देश्य यह भी है कि किसी भी स्कूल में लाइब्रेरी के लिए जो किताब खरीदी जाए, वह बच्चों व टीचर्स के पसंद व उनके आवश्कता के अनुकूल हो। दिल्ली में 2017 तक ऐसा नहीं था लेकिन अब दिल्ली के सरकारी स्कूल अपने बच्चों व टीचर्स की आवश्यकता के अनुसार किताबें खरीद सकते हैं।  बता दें कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में 3 टियर पर लाइब्रेरी सिस्टम को लागू किया जाता है। पहले प्री-प्राइमरी व प्राइमरी लेवल, दूसरा मिडिल स्कूल लाइब्रेरी जो 8वी तक के बच्चों के लिए होता है और तीसरा अकेडमिक नीड ऑफ आल स्टूडेंट जो क्लास 12 तक के बच्चों के लिए होता है। इसके लिए केजरीवाल सरकार ने इस साल 9 करोड़ का बजट आवंटित किया है।  एक स्क्रूटनी कमिटी यह तय करती है कि किसी पब्लिशर की किताबें कितनी अच्छी हैं, वह बच्चों के लिए उपयोगी है, लाइब्रेरी में होनी चाहिए, बच्चों की दोस्त की तरह काम करेंगी, बच्चों के करियर में गाइड करेंगी, बच्चों के सपनों को सच करने में उनकी मदद करेगी। कमिटी ये तय करती है कि किताबें खरीदी जाने लायक है और लाइब्रेरी के लिए उपयोगी है या नहीं है। इस लिस्टिंग के बाद निदेशालय द्वारा एक ऑफलाइन बुक फेयर का आयोजन किया जाता था, जहां स्कूल अपने जरुरत के हिसाब से किताबें खरीद सकते थे। इस बार भी स्क्रूटनी कमिटी ने 8000 किताबों की एक लिस्ट तैयार की है और शिक्षा निदेशालय के आईटी ब्रांच और लाइब्रेरी ब्रांच ने मिलकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहां स्कूल ऑनलाइन माध्यम से वर्चुअल मेगा बुक फेयर से जुडकर अपने टीचर्स और स्टूडेंट्स की जरुरत के हिसाब से किताबों को खरीद सकते हैं। 340 पब्लिशर्स की 8000 से ज्यादा किताबों को चयनित किया गया है।
नई दिल्ली, 14 जनवरी - दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए गुरुवार को वर्चुअल मेगा बुक फेयर का आयोजन किया गया। मेगा बुक फेयर के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से शिक्षा निदेशालय के स्कूल अपने पुस्तकालयों के लिए बेहतरीन किताबें को चुन सकेंगे। वे पब्लिशर्स को ऑनलाइन आर्डर दे पाएंगे और किताबें स्कूलों तक पहुंच जाएगी। सरकार के मुताबिक इससे समय की काफी बचत होगी और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहेगी।

स्कूल में लाइब्रेरी की किताबें स्कूल के डोरस्टेप तक पहुचे और बच्चों के क्लास रूम तक पहुंचे उसके लिए केजरीवाल सरकार द्वारा मेगा बुक फेयर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें 340 पब्लिशर भाग ले रहे हैं और 8000 पुस्तकें शामिल हैं।

दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां सरकार के सभी स्कूलों के अध्यापक व बच्चे अपनी पसंद से अपनी लाइब्रेरी के लिए किताबों का चयन हर साल करते हैं।

सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है जहां सरकार के सारे स्कूल एक साथ इस तरह से बुक फेयर में वर्चुअल रूप से शामिल हो रहे हैं। इसका उद्देश्य यह भी है कि किसी भी स्कूल में लाइब्रेरी के लिए जो किताब खरीदी जाए, वह बच्चों व टीचर्स के पसंद व उनके आवश्कता के अनुकूल हो। दिल्ली में 2017 तक ऐसा नहीं था लेकिन अब दिल्ली के सरकारी स्कूल अपने बच्चों व टीचर्स की आवश्यकता के अनुसार किताबें खरीद सकते हैं।

बता दें कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में 3 टियर पर लाइब्रेरी सिस्टम को लागू किया जाता है। पहले प्री-प्राइमरी व प्राइमरी लेवल, दूसरा मिडिल स्कूल लाइब्रेरी जो 8वी तक के बच्चों के लिए होता है और तीसरा अकेडमिक नीड ऑफ आल स्टूडेंट जो क्लास 12 तक के बच्चों के लिए होता है। इसके लिए केजरीवाल सरकार ने इस साल 9 करोड़ का बजट आवंटित किया है।

एक स्क्रूटनी कमिटी यह तय करती है कि किसी पब्लिशर की किताबें कितनी अच्छी हैं, वह बच्चों के लिए उपयोगी है, लाइब्रेरी में होनी चाहिए, बच्चों की दोस्त की तरह काम करेंगी, बच्चों के करियर में गाइड करेंगी, बच्चों के सपनों को सच करने में उनकी मदद करेगी। कमिटी ये तय करती है कि किताबें खरीदी जाने लायक है और लाइब्रेरी के लिए उपयोगी है या नहीं है। इस लिस्टिंग के बाद निदेशालय द्वारा एक ऑफलाइन बुक फेयर का आयोजन किया जाता था, जहां स्कूल अपने जरुरत के हिसाब से किताबें खरीद सकते थे। इस बार भी स्क्रूटनी कमिटी ने 8000 किताबों की एक लिस्ट तैयार की है और शिक्षा निदेशालय के आईटी ब्रांच और लाइब्रेरी ब्रांच ने मिलकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहां स्कूल ऑनलाइन माध्यम से वर्चुअल मेगा बुक फेयर से जुडकर अपने टीचर्स और स्टूडेंट्स की जरुरत के हिसाब से किताबों को खरीद सकते हैं। 340 पब्लिशर्स की 8000 से ज्यादा किताबों को चयनित किया गया है।