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स्कूल शिक्षा प्रणाली: केरल, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश का प्रदर्शन बेहतर

 
स्कूल शिक्षा प्रणाली: केरल, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश का प्रदर्शन बेहतर

नई दिल्ली, 6 नवंबर - केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों के स्कूलों के प्रदर्शन पर पीजीआई रिपोर्ट जारी की है। कुल 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश केरल, पंजाब, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश ने 901से 950 के बीच स्कोर किया है। इस स्कोर के आधार पर यह सभी राज्य स्तर दो में शामिल हो गए हैं। 2017-18 में कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश स्तर दो तक नहीं पहुंच सका था।

वहीं पिछली रिपोर्ट यानी 2019-20 में इस स्तर पर केवल 4 राज्य पहुंच सके थे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक देश का कोई भी राज्य इस रिपोर्ट में प्रथम स्तर पर नहीं पहुंच सका है। गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश अब तक किसी भी राज्य द्वारा प्राप्त उच्चतम स्तर को हासिल करने वाले नए राज्य हैं। इसके साथ ही इस बार यह तीनों राज्य भी स्तर दो में शामिल हो गए हैं।

यह राज्यों की स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन श्रेणी सूचकांक (पीजीआई) रिपोर्ट हैं। इसमें राज्यों के प्रदर्शन को एकसमान पैमाने पर वर्गीकृत किया गया है।

शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने बताया कि पीजीआई 2020-21 ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को दस श्रेणियों में वगीर्कृत किया है। उच्चतम श्रेणी स्तर 1 है, जो कुल 1000 अंकों में से 950 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले राज्य के लिए है। निम्नतम श्रेणी स्तर 10 है, जो 551 से कम अंक के लिए है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि नवगठित केंद्र शासित प्रदेश, लद्दाख ने 2020-21 में पीजीआई के सन्दर्भ में स्तर 8 से स्तर 4 हासिल करके महत्वपूर्ण सुधार किया है। अर्थात 2019-20 की तुलना में 2020-21 में अपने अंकों में 299 अंकों का सुधार किया है, जो एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक सुधार है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली लगभग 14.9 लाख स्कूलों, 95 लाख शिक्षकों और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लगभग 26.5 करोड़ छात्रों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में एक है।

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने सभी राज्यों, संघ शासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा की सफलता के सम्बन्ध में प्रदर्शन और उपलब्धियों पर अंतर्²ष्टि और डेटा संचालित व्यवस्था प्रदान करने हेतु सभी राज्यों के लिए पीजीआई तैयार किया है। पीजीआई का मुख्य उद्देश्य साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देना और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाठ्यक्रम सुधार को रेखांकित करना है। अब तक, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए पीजीआई रिपोर्ट जारी की है। वर्तमान रिपोर्ट वर्ष 2020-21 के लिए है।

पीजीआई संरचना के लिए 70 संकेतकों में 1000 अंक शामिल किये गये हैं, जिन्हें 2 श्रेणियों में बांटा गया है, परिणाम और शासन प्रबंधन (जीएम)। इन श्रेणियों को आगे 5 उप-श्रेणियों में विभाजित किया गया है; सीखने के परिणाम (एलओ), पहुंच (ए), अवसंरचना और सुविधाएं (आईएफ), समानता (ई) और शासन प्रक्रिया (जीपी)।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि पीजीआई का अंतिम उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बहु-आयामी हस्तक्षेप करने के लिए बढ़ावा देना है, जो सभी आयामों को शामिल करते हुए वांछित इष्टतम शिक्षा परिणाम प्राप्त करने में सहायता करेगा। उम्मीद है कि पीजीआई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कमियों की पहचान करने में मदद करेगा, जिससे हस्तक्षेप के लिए क्षेत्रों की प्राथमिकता तय की जा सकेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्कूली शिक्षा प्रणाली हर स्तर पर मजबूत है।

2020-21 में राज्यों द्वारा प्राप्त पीजीआई अंक और श्रेणी, पीजीआई प्रणाली के प्रभावी होने के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। संकेतक-वार पीजीआई अंक उन क्षेत्रों को दर्शाते हैं, जिनमें किसी राज्य को सुधार करने की आवश्यकता है। पीजीआई सभी राज्यों के सन्दर्भ में प्रदर्शन को एकसमान पैमाने पर दिखाएगा, जो उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने वालों द्वारा अपनाए गए सर्वोत्तम तौर-तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।