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PH.D. के लिए अधिकतम 6 साल, ऑनलाइन कोर्स नहीं कर सकते, जानें यूजीसी के नए नियम

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन ने पीएचडी कोर्सेज को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। यूजीसी ने कहा है कि पीएचडी डिग्री कोर्स की अवधि कम से कम तीन साल होगी। वहीं, पीएचडी उम्मीदवारों को दाखिले की तारीख से अधिकतम छह साल की मोहलत दी जाएगी। उम्मीदवारों को पुन: पंजीकरण द्वारा अधिकतम दो वर्ष का विस्तार दिया जाएगा। यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने यह जानकारी दी है।
 
पीएचडी के लिए अधिकतम 6 साल, ऑनलाइन कोर्स नहीं कर सकते, जानें यूजीसी के नए नियम

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन ने पीएचडी कोर्सेज को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। यूजीसी ने कहा है कि पीएचडी डिग्री कोर्स की अवधि कम से कम तीन साल होगी। वहीं, पीएचडी उम्मीदवारों को दाखिले की तारीख से अधिकतम छह साल की मोहलत दी जाएगी। उम्मीदवारों को पुन: पंजीकरण द्वारा अधिकतम दो वर्ष का विस्तार दिया जाएगा। यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने यह जानकारी दी है।


यूजीसी के चेयरमैन ने कहा है कि यूजीसी के नए नियमों से पढ़ाई में अच्छे छात्र पीएचडी कोर्स में कम उम्र में प्रवेश ले सकेंगे. महिलाओं को दो साल का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। साथ ही किसी भी स्थान पर सेवारत कर्मचारी या शिक्षक अंशकालिक पीएचडी कर सकते हैं।

पीएचडी के लिए नए नियम बनाए
यूजीसी ने कहा है कि नए नियम के तहत अगर कोई पीएचडी शोधार्थी फिर से पंजीकरण कराता है तो उसे अधिकतम दो साल का विस्तार दिया जाएगा। बशर्ते कि पीएचडी कार्यक्रम के पूरा होने की कुल अवधि पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश की तारीख से आठ वर्ष से अधिक न हो। महिला पीएचडी शोधकर्ताओं और विकलांग व्यक्तियों को दो साल की अतिरिक्त छूट दी जा सकती है।

नौकरी के साथ पीएचडी
पहले के नियम के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों या शिक्षकों को अनुसंधान करने के लिए अपने विभाग से अध्ययन अवकाश लेना पड़ता था। नए नियम के तहत सेवारत कर्मचारी या शिक्षक पार्ट टाइम पीएचडी कर सकेंगे।

नए नियम के मुताबिक ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निग के जरिए पीएचडी नहीं की जा सकती है। पहली थीसिस जमा करने से पहले, शोधकर्ता को संदर्भित शोध पत्रिकाओं में कम से कम दो शोध पत्र प्रकाशित करने होते थे। अब पीएचडी के नए नियमों में इसकी इजाजत है। शोध की प्रक्रिया के दौरान दो शोध पत्रों को प्रकाशित करने के लिए मजबूर किया गया है।


यूजीसी ने कहा है कि सभी शर्तों का पालन करना होगा। ऐसे शिक्षक जिनकी अधिवर्षिता आयु सीमा तीन वर्ष से कम है, उन्हें नये शोधार्थियों को अपने पर्यवेक्षण में लेने की अनुमति नहीं होगी। पहले से पंजीकृत शोधार्थियों का परामर्श जारी रहेगा।