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स्कूली छात्राओं की समस्या के समाधान हेतु BHU के वैज्ञानिकों को इंडिया बायोसाइंस आउटरीच ग्रांट !

बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसआडर्स, विज्ञान संस्थान, में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत डॉ चंदना बसु और डॉ गरिमा जैन को इंडिया बायोसाइंस द्वारा आउटरीच ग्रांट प्रदान की गई है। वे उन पांच टीमों में से एक हैं जिन्हें इस साल की यह प्रतिष्ठित ग्रांट दी गई है।
 
बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसआडर्स, विज्ञान संस्थान, में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत डॉ चंदना बसु और डॉ गरिमा जैन को इंडिया बायोसाइंस द्वारा आउटरीच ग्रांट प्रदान की गई है। वे उन पांच टीमों में से एक हैं जिन्हें इस साल की यह प्रतिष्ठित ग्रांट दी गई है।
नई दिल्ली, 23 नवंबर - बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसआडर्स, विज्ञान संस्थान, में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत डॉ चंदना बसु और डॉ गरिमा जैन को इंडिया बायोसाइंस द्वारा आउटरीच ग्रांट प्रदान की गई है। वे उन पांच टीमों में से एक हैं जिन्हें इस साल की यह प्रतिष्ठित ग्रांट दी गई है। वे एक ऐसी परियोजना पर कार्य करेंगी, जिसके तहत वे रंगीन चित्रों, इन्फोग्राफिक्स, कॉमिक्स और कहानियों के माध्यम से हाई स्कूल के छात्रों (9-12) को आनुवंशिकी की कठिन अवधारणाओं को समझाएंगी। इस परियोजना के लिए उन्होंने सुश्री नंदिनी चिल्कम, सह-संस्थापक, लर्न विद कॉमिक्स के साथ करार किया है। वाराणसी के शहरी और ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों के साथ ही यह टीम निजी विद्यालयों का भी दौरा करेंगे।

डॉ चंदना बसु और डॉ गरिमा जैन ने बताया कि विचार और अंतर्निहित वैज्ञानिक पद्धति की बेहतर समझ के लिए छात्र व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से स्वयं प्रयोग करने में सक्षम होंगे। चित्र ई-पुस्तकें जीव विज्ञान के प्रशिक्षकों और शिक्षकों के लिए अपनी कक्षाओं में संसाधनों के रूप में उपयोग करने के लिए वेबसाइट पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होंगी।

दोनों शोधकर्ताओं ने संयुक्त रूप से बताया कि यह निश्चित रूप से विद्यार्थियों को विज्ञान सिखाने की दिशा में क्रांति लाएगा क्योंकि यह छात्रों को नयी विधा से परिचित कराएगा।

इस परियोजना के माध्यम से वे विज्ञान की अवधारणाओं को सीखेंगे और राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे और इस बारे में जागरूकता पैदा करेंगे कि आनुवंशिक रोगों की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए।