Logo Naukrinama

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अब ऑनलाइन सबमिट कर सकेंगे पीएचडी थीसिस

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अब पीएचडी थीसिस ऑनलाइन सबमिशन कर सकेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी की थीसिस ऑनलाइन जमा करने के लिए एक विशेष सबमिशन पोर्टल बनाया है। पीएचडी थीसिस पूरी होने के बाद इन्हें ऑनलाइन सबमिट करने के लिए छात्रों को पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। हालांकि थीसिस ऑनलाइन सबमिट करने के लिए छात्रों को पर्यवेक्षक की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
 
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अब ऑनलाइन सबमिट कर सकेंगे पीएचडी थीसिस

नई दिल्ली, 6 नवंबर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अब पीएचडी थीसिस ऑनलाइन सबमिशन कर सकेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी की थीसिस ऑनलाइन जमा करने के लिए एक विशेष सबमिशन पोर्टल बनाया है। पीएचडी थीसिस पूरी होने के बाद इन्हें ऑनलाइन सबमिट करने के लिए छात्रों को पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। हालांकि थीसिस ऑनलाइन सबमिट करने के लिए छात्रों को पर्यवेक्षक की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने ऑनलाइन पीएचडी थीसिस सबमिशन पोर्टल लॉन्च किया है। विश्वविद्यालय के डीन एग्जामिनेशन प्रोफेसर डीएस रावत ने बताया कि ऑनलाइन सबमिशन पोर्टल में कई विशेषताएं जोड़ी गई हैं। पीएचडी छात्रों के लिए बनाए गए इस पोर्टल में सबसे पहले तो पीएचडी थीसिस जमा करने के लिए तैयार होने पर छात्रों को पंजीकरण करना होगा। पर्यवेक्षक आवेदन जमा करने का अनुमोदन करता है तभी जाकर पोर्टल पर आगे बढ़ा जा सकेगा। परीक्षकों को डीआरसी, बीआरएस द्वारा अनुमोदित किया जाएगा और इसे ऑनलाइन परीक्षा शाखा में जमा किया जाएगा।

पीएचडी छात्रों के लिए बनाए गए इस पोर्टल पर दस्तावेजों के सत्यापन के बाद, छात्र थीसिस जमा करने की फीस का भुगतान कर सकते हैं और सभी दस्तावेज और थीसिस जमा कर सकते हैं। पर्यवेक्षक के पास दस्तावेजों और थीसिस की मंजूरी आवश्यक है। एचओडी की मंजूरी यानी विभागाध्यक्ष के अनुमोदन के बाद, परीक्षा शाखा दस्तावेजों का सत्यापन करेगी और परीक्षकों की नियुक्ति के लिए सूची के लिए कुलपति को भेज दिया जाएगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय के इस ऑनलाइन पोर्टल पर एक बार परीक्षकों को मंजूरी मिलने के बाद, छात्रों को थीसिस सबमिशन सर्टिफिकेट मिलेगा ( इसमें फीस और पीएचडी थीसिस सबमिशन शामिल है)। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, विभाग पीएचडी वाइवा के संचालन के लिए परीक्षकों और कुलपति नियुक्ति परीक्षक की टिप्पणी के आधार पर तकनीकी या सामान्य रिपोर्ट तैयार करेगा है। इसके बाद अंतिम चरणों में कुलपति के अनुमोदन के बाद पीएचडी परिणाम घोषित किया जाएगा और छात्रों को अनंतिम प्रमाण पत्र मिलेगा। खास बात यह है कि इस पोर्टल पर छात्र, पर्यवेक्षक व विभागाध्यक्ष थीसिस मूल्यांकन की प्रगति देख सकते हैं।

गौरतलब है कि इस बीच दिल्ली विश्वविद्यालय में बुधवार 2 नवंबर से प्रथम वर्ष के छात्रों का नया सत्र शुरू हो गया। अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष के छात्रों का विश्वविद्यालय परिसर में यह पहला दिन रहा। दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े विभिन्न कॉलेजों ने बुधवार को प्रथम वर्ष के बी. ए. प्रोग्राम और बी. कॉम .(ऑनर्स ) बी.कॉम. प्रोग्राम व बीएससी प्रोग्राम के छात्रों के लिए ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन किया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के रेगुलर अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में करीब 80,000 सीटें हैं। इनमें से अधिकांश सीटों पर छात्रों के दाखिले हो चुके हैं। इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों का प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के माध्यम से दाखिला हुआ है। नई व्यवस्था होने के कारण इस साल प्रथम वर्ष के छात्रों के एडमिशन विलंब से हो रहे हैं।