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Delhi School: दिल्ली के टेंट वाले स्कूल अब टैलेंट वाले स्कूल में बदल गए-मनीष सिसोदिया

दिल्ली में स्कूल 7 साल पहले 'टेंट वाले स्कूल' के नाम से जो स्कूल जाने जाते थे वो आज टैलेंट वाले स्कूल बन चुके हैं। शुक्रवार को यह बात कहते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 7-8 साल पहले तक एक दौर था जब पेरेंट्स मजबूरी में अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवाते थे,
 
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (आईएएनएस)| दिल्ली में स्कूल 7 साल पहले 'टेंट वाले स्कूल' के नाम से जो स्कूल जाने जाते थे वो आज टैलेंट वाले स्कूल बन चुके हैं। शुक्रवार को यह बात कहते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 7-8 साल पहले तक एक दौर था जब पेरेंट्स मजबूरी में अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। पिछले 8 सालों में दिल्ली सरकार के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्च र, टीचर-ट्रेनिंग और क्वालिटी एजुकेशन के क्षेत्र में शानदार काम हुए हैं। शिक्षा मंत्री का कहना है कि इसने पेरेंट्स के अंदर दिल्ली सरकार के स्कूलों के प्रति भरोसा बढ़ाने का काम किया है। पेरेंट्स अब ये समझने लगे है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली सरकार के स्कूलों में बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों से आये बच्चों ने दाखिला लिया है।  दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय शकरपुर व राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय वेस्ट विनोद नगर में आयोजित वार्षिकोत्सव समारोह में शामिल हुए। इस मौके पर सिसोदिया ने कहा कि हमारे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर आज दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे न केवल पढाई में बल्कि उसके साथ-साथ हर क्षेत्र में अव्वल हैं।  सिसोदिया ने कहा कि सरकार में आने के बाद शिक्षा व्यवस्था को सु²ढ़ बनाना पहली प्राथमिकता थी और हमने इस दिशा में काम करते हुए अपने स्कूलों को शानदार और विश्वस्तरीय बनाया। हमारे शिक्षकों ने भी कड़ी मेहनत कर बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दी।  उन्होंने कहा कि आज दिल्ली सरकार के स्कूल क्वालिटी एजुकेशन व शानदार इंफ्रास्ट्रक्च र के मामले में प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य यहीं तक सीमित नहीं होना चाहिए। हमारा लक्ष्य ये होना चाहिए कि देश के सभी स्कूल इतना शानदार बने और उसमें पढ़ाई का स्तर इतना हो कि ये विश्व के अव्वल स्कूलों में शामिल हो जाये और जब भी विश्व में टॉप स्कूलों का नाम लिया जाये तो उसमें दिल्ली और भारत के स्कूलों का नाम शामिल हो।
नई दिल्ली, 31 दिसंबर -  दिल्ली में स्कूल 7 साल पहले 'टेंट वाले स्कूल' के नाम से जो स्कूल जाने जाते थे वो आज टैलेंट वाले स्कूल बन चुके हैं। शुक्रवार को यह बात कहते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 7-8 साल पहले तक एक दौर था जब पेरेंट्स मजबूरी में अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। पिछले 8 सालों में दिल्ली सरकार के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्च र, टीचर-ट्रेनिंग और क्वालिटी एजुकेशन के क्षेत्र में शानदार काम हुए हैं। शिक्षा मंत्री का कहना है कि इसने पेरेंट्स के अंदर दिल्ली सरकार के स्कूलों के प्रति भरोसा बढ़ाने का काम किया है। पेरेंट्स अब ये समझने लगे है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली सरकार के स्कूलों में बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों से आये बच्चों ने दाखिला लिया है।

दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय शकरपुर व राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय वेस्ट विनोद नगर में आयोजित वार्षिकोत्सव समारोह में शामिल हुए। इस मौके पर सिसोदिया ने कहा कि हमारे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर आज दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे न केवल पढाई में बल्कि उसके साथ-साथ हर क्षेत्र में अव्वल हैं।

सिसोदिया ने कहा कि सरकार में आने के बाद शिक्षा व्यवस्था को सु²ढ़ बनाना पहली प्राथमिकता थी और हमने इस दिशा में काम करते हुए अपने स्कूलों को शानदार और विश्वस्तरीय बनाया। हमारे शिक्षकों ने भी कड़ी मेहनत कर बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दी।

उन्होंने कहा कि आज दिल्ली सरकार के स्कूल क्वालिटी एजुकेशन व शानदार इंफ्रास्ट्रक्च र के मामले में प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य यहीं तक सीमित नहीं होना चाहिए। हमारा लक्ष्य ये होना चाहिए कि देश के सभी स्कूल इतना शानदार बने और उसमें पढ़ाई का स्तर इतना हो कि ये विश्व के अव्वल स्कूलों में शामिल हो जाये और जब भी विश्व में टॉप स्कूलों का नाम लिया जाये तो उसमें दिल्ली और भारत के स्कूलों का नाम शामिल हो।