लक्ष्मण की अद्भुत वापसी: 10 साल बाद परिवार से मिला
लक्ष्मण की यात्रा की कहानी
लावणा गांव, पांढुर्ना तालुका के निवासी लक्ष्मण पांद्रे ने दस साल पहले रोजगार की तलाश में अपने घर को छोड़ दिया था। 9 जून 2015 को, वह अपने दोस्तों के साथ हैदराबाद जाने के लिए निकले, लेकिन गलती से पंढुर्ना रेलवे स्टेशन पर दूसरी ट्रेन में चढ़ गए, जो उन्हें सीधे बैंगलोर ले गई। लक्ष्मण न तो स्थानीय भाषा जानते थे और न ही किसी को पहचानते थे। बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में अकेले पहुंचने पर वह पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहे थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
कड़ी मेहनत के बाद, उन्हें एक होटल में बर्तन धोने की नौकरी मिली। यहीं से उनके जीवन की एक नई यात्रा शुरू हुई। समय के साथ, उन्होंने कन्नड़ भाषा सीखी, आधार कार्ड बनवाया और धीरे-धीरे बेंगलुरु को अपना नया घर बना लिया। इस बीच, लवाणा गांव में उनके परिवार ने उनकी तलाश बंद कर दी थी, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि लक्ष्मण कभी वापस नहीं आएंगे।
हालांकि, किस्मत ने एक नया मोड़ लिया। हाल ही में, लक्ष्मण ने एक नया मोबाइल फोन खरीदा और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करना शुरू किया। एक दिन, उन्हें अपनी भतीजी वैशाली का नाम याद आया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर वैशाली को खोजा और उनका प्रोफाइल पाया। फिर उन्होंने संदेश भेजकर संपर्क किया। पहले तो परिवार वालों को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन बातचीत के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि यह वही लक्ष्मण है।
परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। पांढुर्ना थाना प्रभारी अजय मरकाम और एएसआई देवेंद्र कुमार ने बेंगलुरु जाकर लक्ष्मण को खोज निकाला और उसे सुरक्षित रूप से गांव वापस लाकर उसके परिवार को सौंप दिया। जैसे ही लक्ष्मण घर पहुंचे, उनकी मां ने उन्हें गले लगा लिया। पूरा परिवार भावुक हो गया। इस पुनर्मिलन की कहानी अब गांव में हर किसी की जुबान पर है और लोग इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मानते।