खान सर का विवादास्पद बयान: क्या IAS वास्तव में बदलाव ला सकते हैं?

खान सर की नई टिप्पणी से मचा हंगामा
पटना से निकलकर देशभर के युवाओं के बीच एक खास पहचान बना चुके खान सर एक बार फिर चर्चा का विषय बने हैं। उनकी सादा जीवनशैली, स्पष्ट विचार और प्रेरणादायक भाषणों ने लाखों छात्रों को प्रभावित किया है। हाल ही में, उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। एक वायरल वीडियो में खान सर कहते हैं कि "आईएएस देश को नहीं बदल सकते, वे केवल कुशल कार्यकर्ता होते हैं।" उनका कहना है कि आईएएस अधिकारियों को कार्य सौंपा जाए तो वे उसे अच्छे से निभा सकते हैं, लेकिन नवाचार या नई सोच की उम्मीद उनसे नहीं की जा सकती।
खान सर का तर्क: ऐतिहासिक बदलावों में IAS की भूमिका
वीडियो में खान सर ने स्पष्ट रूप से कहा:
"होमी जहांगीर भाभा आईएएस नहीं थे, लेकिन उन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम की नींव रखी। सतीश धवन और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक थे, लेकिन वे भी IAS नहीं थे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े, वे भी IAS नहीं थे। एम.एस. स्वामीनाथन ने हरित क्रांति की शुरुआत की, वर्गीज कुरियन ने श्वेत क्रांति लाई—ये सभी IAS नहीं थे।" खान सर ने सवाल उठाया कि क्या कोई ऐसा बड़ा बदलाव है जिसे किसी IAS अधिकारी ने अकेले अपने दम पर किया हो? उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप सोचते हैं कि IAS देश को बदल देंगे, तो यह वैसा ही है जैसे कोई रेगिस्तान में पानी की तलाश कर रहा हो।
छात्रों को जागरूक करने की कोशिश या सिस्टम पर सवाल?
खान सर के इस बयान को कई लोग एक प्रेरक संदेश मानते हैं कि देश में बदलाव लाने के लिए केवल पद या रैंक नहीं, बल्कि सोच और दृढ़ संकल्प भी आवश्यक हैं। वहीं, कुछ इसे नौकरशाही प्रणाली की आलोचना के रूप में देख रहे हैं। खान सर पहले भी अपने विचारों और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बोलते रहे हैं। उनका मानना है कि यदि युवा सकारात्मक सोच, समाज सेवा और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाएं, तो वे समाज और देश की तस्वीर बदल सकते हैं।
सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ
इस वीडियो के वायरल होते ही हजारों लोगों ने इसे देखा, साझा किया और अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं। एक पक्ष ने खान सर की बातों को सही बताया, जबकि कुछ ने कहा कि IAS अधिकारी सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और कई अफसरों ने जमीनी स्तर पर बड़ा बदलाव किया है।
कमेंट्स में एक यूज़र ने लिखा, "खान सर का नजरिया बहुत क्रांतिकारी है। वे युवाओं को सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, सोच के लिए तैयार करते हैं।" वहीं, एक अन्य यूज़र ने कहा, "सभी IAS को एक जैसा नहीं कहा जा सकता। कई अफसरों ने अपने कार्य से समाज में बदलाव लाया है।"
खान सर की लोकप्रियता का रहस्य
खान सर की लोकप्रियता केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है। यूट्यूब चैनल और ऑनलाइन क्लासेज़ के माध्यम से वे करोड़ों छात्रों से जुड़े हुए हैं। उनकी शिक्षण शैली में गंभीर विषयों को हास्य के साथ समझाना एक विशेषता है, जिससे जटिल विषय भी सरल लगते हैं।
वे छात्रों को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उन्हें समाज, नैतिकता, देशभक्ति और आत्मनिर्भरता का पाठ भी पढ़ाते हैं। उनके अनुसार, "अगर एक युवा सही दिशा में सोचने लगे, तो वह खुद भी बदलेगा और समाज भी बदलेगा।"
निष्कर्ष: विचारों की बहस का महत्व
खान सर का बयान चाहे कितना भी विवादास्पद क्यों न हो, लेकिन यह निश्चित रूप से लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है। क्या केवल पद और परीक्षा पास करना ही बदलाव की कुंजी है? या फिर बदलाव का असली रास्ता विचारों से होकर गुजरता है? ऐसे सवाल अब चर्चा का विषय बन चुके हैं। खान सर एक बार फिर यह साबित करने में सफल रहे हैं कि वे केवल शिक्षक नहीं, बल्कि विचारों के वाहक भी हैं—जो युवाओं को सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि सोच और समझ से भी जोड़ते हैं।