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उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर उठाए सवाल

उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने दिल्ली में हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास से बरामद नकदी के मामले में एफआईआर न होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवरण की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यदि यह मामला किसी आम नागरिक के घर पर होता, तो जांच की प्रक्रिया तेज होती। धनखड़ ने तीन सदस्यीय कमेटी की जांच पर भी सवाल उठाए और कहा कि कानून के अनुसार संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को देना आवश्यक है। उनके बयान ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की सीमाओं पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।
 

जगदीप धनखड़ का बयान

उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर उठाए सवाल


उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को दिल्ली में हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास से बरामद नकदी के मामले में एफआईआर न होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कोई भी आवरण नहीं होना चाहिए। धनखड़ ने यह भी कहा कि यदि यह मामला किसी सामान्य नागरिक के घर पर होता, तो जांच की प्रक्रिया बहुत तेज होती।


उन्होंने कहा, "अगर यह घटना आम आदमी के घर पर होती, तो जांच की गति इलेक्ट्रॉनिक रॉकेट जैसी होती। अब यह मवेशी गाड़ी भी नहीं है।" उपराष्ट्रपति ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जांच के खिलाफ पूरी गारंटी की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इस तरह का आवरण किसी संस्था को कमजोर करने का सबसे प्रभावी तरीका है।


धनखड़ ने तीन सदस्यीय इन-हाउस कमेटी की जांच पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि रिपोर्ट में कानूनी आधार की कमी है। उन्होंने कहा, "समिति क्या कर सकती है? समिति केवल सिफारिश कर सकती है। किसे सिफारिश? और किसके लिए? हमारे पास न्यायाधीशों के लिए जो तंत्र है, उसमें एकमात्र कार्रवाई जो की जा सकती है, वह संसद द्वारा न्यायाधीश को हटाने के माध्यम से है।"


उन्होंने यह भी कहा कि जांच कार्यपालिका का क्षेत्र है, न कि न्यायपालिका का। धनखड़ ने कहा, "यह देश का कानून है कि प्रत्येक संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को देना आवश्यक है, और ऐसा न करना अपराध है। इसलिए, आप सभी को आश्चर्य हो रहा होगा कि कोई एफआईआर क्यों नहीं हुई।"