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उत्तराखंड में निजी स्कूलों की फीस पर नई नीति लागू

उत्तराखंड में निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण लगाने के लिए राज्य सरकार ने एक नई नीति लागू की है। अब स्कूल मनमानी फीस नहीं ले सकेंगे। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है, जिससे माता-पिता अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। यह निर्णय हल्द्वानी के एक निवासी द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद लिया गया है। जानें इस नई नीति के बारे में और क्या कहा गया है अदालत में।
 
उत्तराखंड में निजी स्कूलों की फीस पर नई नीति लागू

उत्तराखंड में निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण


उत्तराखंड निजी स्कूल फीस: उत्तराखंड में निजी विद्यालय अब माता-पिता से मनमानी फीस नहीं ले सकेंगे। राज्य सरकार ने इस मामले में सख्त कदम उठाया है और एक समिति का गठन किया है। यह जानकारी राज्य सरकार ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक सुनवाई के दौरान दी। सरकार ने बताया कि माता-पिता अपनी शिकायतें समिति के पास दर्ज करा सकते हैं।


यह सुनवाई हल्द्वानी के निवासी दीपचंद्र पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका पर हो रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कई निजी स्कूल छात्रों से अत्यधिक फीस वसूल रहे हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अदालत को सूचित किया कि उसे किसी छात्र या माता-पिता से ऐसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।


नैनीताल के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने फीस, यूनिफॉर्म और किताबों से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है, क्योंकि कई निजी स्कूल छात्रों को एक ही दुकान से किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं।


दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति रविंद्र मैथानी और आलोक मेहरा की एक पीठ ने याचिकाकर्ता को पहले अपनी शिकायत सलाहकार समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और मामले को समाप्त कर दिया।


याचिका में क्या था?
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि स्कूल प्रबंधन छात्रों को विशेष दुकानों से नोटबुक, किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जो सामान्य बाजार दरों से अधिक महंगे होते हैं। हालांकि, स्कूल प्रबंधन ने तर्क दिया कि सभी किताबें और अन्य सामग्री एक ही स्थान पर उपलब्ध कराई जाती हैं ताकि माता-पिता को विभिन्न दुकानों पर जाने की आवश्यकता न पड़े और कक्षाएं समय पर शुरू हो सकें।