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आर्ट्स और कॉमर्स के छात्रों के लिए पायलट बनने का नया अवसर

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने आर्ट्स और कॉमर्स के छात्रों के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस की अनिवार्यता में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो नॉन-साइंस स्टूडेंट्स भी पायलट प्रशिक्षण कोर्स में भाग ले सकेंगे। इस बदलाव का उद्देश्य अधिक युवाओं को एविएशन करियर में शामिल करना है। हालांकि, इस प्रस्ताव के साथ कुछ तकनीकी चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। जानें इस महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में और क्या-क्या बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं।
 
आर्ट्स और कॉमर्स के छात्रों के लिए पायलट बनने का नया अवसर

नागरिक उड्डयन में नया बदलाव

अब आर्ट्स और कॉमर्स के छात्रों के लिए एविएशन इंडस्ट्री में करियर बनाने का रास्ता खुल गया है। भारत में जल्द ही नॉन-साइंस स्टूडेंट्स को कमर्शियल फ्लाइट्स उड़ाने की अनुमति मिलने की संभावना है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) के लिए 12वीं कक्षा में मैथ्स और फिजिक्स की अनिवार्यता को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है।


इस प्रस्ताव के लागू होने पर, आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम के छात्र भी पायलट प्रशिक्षण कोर्स में भाग ले सकेंगे।


DGCA का उद्देश्य

अब तक केवल वे छात्र CPL के लिए आवेदन कर सकते थे, जिन्होंने 12वीं कक्षा में फिजिक्स और मैथ पढ़ा हो। DGCA का यह नया प्रस्ताव अधिक युवाओं को एविएशन करियर में शामिल करने के लिए है। यह निर्णय NEP 2020 के तहत लिया जा रहा है।


प्रस्तावित बदलाव

DGCA ने कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। इसके अनुसार, मान्यता प्राप्त बोर्डों और संस्थानों से 10वीं कक्षा पास होना आवश्यक है।


हेलीकॉप्टर, एयरोप्लेन, ग्लाइडर, और अन्य प्रकार के विमानों के लिए स्टूडेंट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता होगी।


फिजिक्स-मैथ्स की आवश्यकता

हालांकि, नॉन-साइंस स्टूडेंट्स की शैक्षणिक तैयारी को लेकर कुछ चिंताएं हैं। कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग में नेविगेशन और मौसम विज्ञान जैसे कठिन विषय शामिल होते हैं, जो फिजिक्स और मैथ्स में मजबूत आधार पर निर्भर करते हैं।


तकनीकी चुनौतियाँ

कॉमर्स और आर्ट्स के छात्रों को तकनीकी पहलुओं में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी ट्रेनिंग में बाधा आ सकती है। इसलिए, प्रशिक्षण संस्थानों को अतिरिक्त फाउंडेशन कोर्स शुरू करने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे लागत और प्रशिक्षण की अवधि बढ़ सकती है।


सुरक्षा और मानक

इस क्षेत्र में सुरक्षा और क्षमता बनाए रखना आवश्यक है। पायलटों को उच्च-जोखिम वाले वातावरण में काम करना होता है, इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी उम्मीदवार समान मानकों को पूरा करें।


यदि यह नीति स्वीकृत होती है, तो DGCA और प्रशिक्षण संस्थानों को पात्रता, शैक्षणिक सहायता उपायों और पाठ्यक्रम में बदलाव पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने होंगे।