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भारत में खाली सरकारी स्कूलों की बढ़ती संख्या: शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल

भारत में सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक है, जहां हजारों स्कूलों में कोई छात्र नामांकित नहीं है। तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक खाली स्कूल हैं। इस रिपोर्ट में शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों और सुधार की आवश्यकता पर चर्चा की गई है। जानें कि कैसे ये आंकड़े शिक्षा के भविष्य को प्रभावित कर रहे हैं और क्या सरकार इस पर ध्यान दे रही है।
 

खाली सरकारी स्कूलों की स्थिति



सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में हजारों सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनमें कोई छात्र नामांकित नहीं है, फिर भी वहां शिक्षक और स्टाफ तैनात हैं। सबसे अधिक ऐसे स्कूल तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में हैं। आइए आंकड़ों पर नजर डालते हैं...


भारत में कुल 10.13 लाख सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 5149 स्कूलों में कोई छात्र नहीं है। इसका मतलब है कि स्कूल की इमारत मौजूद है, शिक्षक तैनात हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए कोई छात्र नहीं है।


खाली स्कूलों की संख्या

खाली स्कूलों का स्थान


सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 शैक्षणिक सत्र में शून्य नामांकन वाले 70 प्रतिशत से अधिक स्कूल केवल दो राज्यों में हैं: तेलंगाना और पश्चिम बंगाल। तेलंगाना में 2081 सरकारी स्कूल हैं जिनमें कोई छात्र नहीं है, जबकि पश्चिम बंगाल में ऐसे स्कूलों की संख्या 1571 है.


जिलों में स्थिति

तेलंगाना में स्थिति


तेलंगाना के नलगोंडा जिले में 315 सरकारी स्कूल पूरी तरह से खाली हैं। इसके बाद महबूबाबाद जिले में 167 और वारंगल जिले में 135 स्कूल हैं जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कई क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों पर जनता का विश्वास लगातार घट रहा है.


पश्चिम बंगाल में स्थिति

पश्चिम बंगाल में स्थिति


पश्चिम बंगाल में, राज्य की राजधानी कोलकाता में 211 सरकारी स्कूल हैं जिनमें कोई छात्र नहीं है। यह देश में दूसरी सबसे अधिक संख्या है। इसके अलावा, पूर्वी मेदिनीपुर जिले में 177 और दक्षिण दिनाजपुर जिले में 147 सरकारी स्कूल खाली पड़े हैं.


कम नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में वृद्धि

कम नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में वृद्धि


शून्य नामांकन के अलावा, 10 से कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 2022-23 में ऐसे स्कूलों की संख्या 52,309 थी, जो 2024-25 में बढ़कर 65,054 हो गई। यह दो वर्षों में लगभग 24 प्रतिशत की वृद्धि है.


राज्यवार आंकड़े

राज्यवार आंकड़े


पश्चिम बंगाल में, 6,703 ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनमें 27,348 शिक्षक तैनात हैं, यानी प्रति स्कूल औसतन चार शिक्षक। बिहार में, 730 स्कूलों में 3,600 शिक्षक नियुक्त हैं, जो प्रति स्कूल लगभग पांच शिक्षक हैं.


सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार की प्रतिक्रिया


शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि शिक्षकों की भर्ती और उचित तैनाती राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। केंद्रीय सरकार का कहना है कि राज्यों को अपने स्तर पर शिक्षक तैनाती का प्रबंधन प्रभावी ढंग से करना चाहिए.


स्कूलों की संख्या में कमी

स्कूलों की संख्या में कमी


सरकारी आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि देश में सरकारी स्कूलों की कुल संख्या में कमी आई है। 2019-20 में 10.32 लाख सरकारी स्कूल थे, जो 2024-25 में घटकर 10.13 लाख रह गए हैं.


शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल

शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल


ये आंकड़े शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हैं। जब स्कूलों में बच्चे नहीं हैं, तो शिक्षक क्यों हैं? क्या संसाधनों का सही उपयोग हो रहा है? क्या सरकारी स्कूलों के लिए नई नीति की आवश्यकता नहीं है? यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की अब अत्यंत आवश्यकता है.