×

शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं, जिसमें छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा पर जोर दिया गया है। अदालत ने कोचिंग सेंटरों और शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों के जीवन को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है। इसके अलावा, परीक्षा में असफलता के कारण आत्महत्या के मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की गई है। जानें, अदालत ने क्या निर्देश दिए हैं और छात्रों के लिए क्या नई व्यवस्थाएँ बनाई जाएंगी।
 

शिक्षा का उद्देश्य और मानसिक स्वास्थ्य


शिक्षा की मूल भावना में विकृति आ गई है, क्योंकि छात्रों को प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में धकेला जा रहा है। इस दबाव के चलते आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हो रही है। यह बात सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कही। अदालत ने सभी शैक्षणिक संस्थानों, विशेषकर कोचिंग सेंटरों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।


महत्वपूर्ण निर्देश

अदालत ने संस्थानों को कई आवश्यक निर्देश दिए, जिनमें योग्य परामर्शदाताओं या मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति, शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर बैचों में विभाजन से बचने और कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा साल में दो बार अनिवार्य प्रशिक्षण देने की आवश्यकता शामिल है।


छात्रों के जीवन की सुरक्षा

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने चिंता व्यक्त की कि शिक्षा प्रणाली अब उपलब्धि और वित्तीय सुरक्षा की दौड़ में बदल गई है। उन्होंने कहा कि छात्रों के जीवन को बचाने के लिए एक ठोस व्यवस्था की आवश्यकता है। यह एक व्यवस्थागत विफलता को दर्शाता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


शिक्षा का सही उद्देश्य

अदालत ने स्पष्ट किया कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को स्वतंत्र बनाना है, न कि उन पर बोझ डालना। इसकी सफलता ग्रेड या रैंकिंग में नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के समग्र विकास में है जो आत्मविश्वास और उद्देश्य के साथ जीवन जी सके। यह आदेश एक मेडिकल छात्र की आत्महत्या के मामले में पारित किया गया था।


परीक्षा में असफलता से जुड़ी आत्महत्याएँ

अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे दो महीने के भीतर सभी निजी कोचिंग केंद्रों के लिए पंजीकरण और छात्र सुरक्षा मानदंडों को अधिसूचित करें। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2022 में भारत में 1,70,924 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 7.6% छात्र थे। इनमें से 2,248 मौतें परीक्षा में असफलता के कारण हुईं।