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अरावली पर्वत श्रृंखला: एक प्राचीन भूवैज्ञानिक चमत्कार

अरावली पर्वत श्रृंखला, जो भारतीय उपमहाद्वीप में फैली हुई है, न केवल एक भौगोलिक चमत्कार है, बल्कि इसमें अरबों वर्षों की पुरानी कहानियाँ भी छिपी हैं। यह पर्वत श्रृंखला हिमालय से भी पुरानी है और इसके निर्माण, सांस्कृतिक महत्व और खनिज संपदा के बारे में जानें। क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम कैसे पड़ा और महाभारत में इसका उल्लेख क्यों किया गया है? इस लेख में हम अरावली पर्वत श्रृंखला के रहस्यों का अनावरण करेंगे।
 

अरावली पर्वत श्रृंखला का परिचय



भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित अरावली पर्वत श्रृंखला न केवल एक भौगोलिक चमत्कार है, बल्कि इसमें अरबों वर्षों की पुरानी कहानियाँ भी समाहित हैं। यह पर्वत श्रृंखला हिमालय से भी पुरानी मानी जाती है, और इसकी चोटियों में वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, और पुरातात्विक रहस्य छिपे हुए हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम कैसे पड़ा और महाभारत तथा पुराणों में इसका उल्लेख क्यों किया गया है? इन प्राचीन चोटियों के पीछे के भूवैज्ञानिक और सांस्कृतिक रहस्य आज भी शोधकर्ताओं और इतिहासकारों को आकर्षित करते हैं।


अरावली पर्वत श्रृंखला का निर्माण

अरावली पर्वत श्रृंखला का निर्माण प्रोटेरोज़ोइक युग में, लगभग 2.5 से 3.2 अरब वर्ष पूर्व हुआ था। इसे एक वलित पर्वत श्रृंखला के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों और प्राकृतिक उथल-पुथल का परिणाम है। यह पर्वत श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रृंखलाओं में से एक मानी जाती है। 'अरावली' नाम दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है: 'अर', जिसका अर्थ है पर्वत की चोटियाँ, और 'वली', जिसका अर्थ है एक श्रृंखला।


सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

इसका शाब्दिक अर्थ है "चोटियों की एक पंक्ति", जो इस पर्वत श्रृंखला की विशेषता को दर्शाता है। पुराणों और महाभारत में इसे अर्बुदाचल या अरवता पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, जो संभवतः देवी अर्बुदा के सम्मान में है। अरावली श्रृंखला केवल एक सुंदर पर्वत श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए एक प्राकृतिक बाधा भी है। यह थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है, लूनी और बनास जैसी नदियों का स्रोत है, और जलवायु संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार

गुजरात के पालनपुर से लेकर दिल्ली तक फैली यह पर्वत श्रृंखला लगभग 670-692 किलोमीटर लंबी है। अरावली श्रृंखला खनिजों का एक समृद्ध भंडार भी है, जिसमें संगमरमर, जस्ता, तांबा और अन्य खनिज शामिल हैं। यह खनिज संपदा क्षेत्रीय उद्योगों और निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत

अरावली श्रृंखला का उल्लेख पुराणों और महाभारत में कई बार किया गया है। प्राचीन काल में इसे अर्बुदाचल के नाम से जाना जाता था और इसे धार्मिक महत्व का माना जाता था। यह केवल एक भौगोलिक विशेषता नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक अभिन्न हिस्सा है।