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India और UAE के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के लिए संभव हो सकेगी Double और Combined Degree

 

नई दिल्ली, 8 सितंबर | यूजीसी के नियमों अनुसार भारत और विदेशी उच्च शिक्षा संस्थान संयुक्त डिग्री दे सकेंगे। इसके अलावा छात्रों को भारत के साथ-साथ विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के जरिए डिग्री हासिल करने की छूट दी गई है। संयुक्त डिग्री और दोहरी डिग्री को लेकर भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक कदम आगे बढ़ गए हैं। केंद्र सरकार ने भारतीय शिक्षा मंत्रालय को संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई के साथ इस तरह के समझौते करने की मंजूरी प्रदान की है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और संयुक्त अरब अमीरात सरकार के शिक्षा मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की मंजूरी दे दी है। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच चल रहे वर्तमान शैक्षणिक सहयोग को और मजबूत करना एवं उसका दायरा बढ़ाना है।

शिक्षा के क्षेत्र में संयुक्त अरब अमीरात के साथ 2015 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे जो 2018 में समाप्त हो गया। 2019 में, दोनों देशों के शिक्षा मंत्रियों के बीच एक बैठक में, संयुक्त अरब अमीरात की ओर से एक नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का प्रस्ताव रखा गया। नये समझौता ज्ञापन में भारत के शिक्षा इकोसिस्टम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा लाए गए परिवर्तनों को शामिल किया गया है।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सूचना शिक्षा के आदान-प्रदान, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण (टीवीईटी) के शिक्षण कर्मचारियों की क्षमता विकास को बढ़ावा देना, ट्वीनिंग, संयुक्त डिग्री और दोहरी डिग्री कार्यक्रमों की पेशकश के लिए दोनों देशों में उच्च शिक्षा संस्थानों और इसी तरह के अन्य क्षेत्रों के बीच शैक्षणिक सहयोग की सुविधा प्रदान करना है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह समझौता ज्ञापन शैक्षणिक सहयोग में नई जान डालेगा और भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच शैक्षणिक गतिशीलता को बढ़ाएगा ताकि इन योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता को बढ़ावा दिया जा सके। इसमें टीवीईटी में सहयोग भी शामिल है क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात भारतीयों के लिए एक प्रमुख कार्य स्थल है।

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा और दोनों पक्षों की सहमति से स्वत इसका नवीकरण हो जाएगा। एक बार हस्ताक्षर होने के बाद यह समझौता ज्ञापन 2015 में संयुक्त अरब अमीरात के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का स्थान लेगा।