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EWS कोटे में दाखिला नहीं देने पर दिल्ली सरकार नहीं करती कोई कार्रवाई- सर्वे

 

दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन पाना सबसे कठिन काम है, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से आने वालों के बच्चों के लिए। क्वालिटी एजुकेशन का लाभ देने के लिए सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में गरीब वर्ग से आने वाले बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की हैं

शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में प्राइवेट स्कूलों को गरीब परिवारों के छात्रों को 25 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन देना होगा।

हालांकि, शहर के कुछ ऐसे प्राइवेट स्कूल हैं, जो आरटीई के प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे है और ईडब्ल्यूएस कैटेगिरी के बच्चों को एडमिशन देने से इनकार कर रहे हैं। इसकी शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं।

इन शिकायतों पर गौर करते हुए दिल्ली शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने देश भर के प्राइवेट स्कूलों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर वे ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत बच्चों को एडमिशन नहीं देंगे, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने कहा कि स्कूलों को ईडब्ल्यूएस दाखिले का 25 फीसदी कोटा पूरा करना होगा, नहीं तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है।

सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने राष्ट्रीय राजधानी में आईएएनएस की ओर से डीओई के ऐसे आदेशों और प्राइवेट स्कूलों द्वारा उनके अनुपालन के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए एक सर्वे किया।

सर्वे में 57 प्रतिशत लोगों का मानना है कि डीओई केवल ऐसे ही आदेश पारित करता है, लेकिन ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 25 प्रतिशत सीटों को भरने में विफल प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता।

वहीं 31 प्रतिशत लोगों को कहना है कि डीओई इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करता है, जबकि 12 प्रतिशत लोगों ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करने से इनकार कर दिया।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के अधिकतर लोगों ने समान राय साझा की।

सर्वे के दौरान, 56 प्रतिशत ग्रामीण और 59 प्रतिशत शहरी लोगों ने कहा कि आरक्षित सीटों के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश देने से इनकार करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने में दिल्ली शिक्षा निदेशालय विफल रहा है।

सर्वे के दौरान, 18-24 उम्र के 54 प्रतिशत, 25-34 उम्र के 66 प्रतिशत और 35-44 उम्र के 68 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि डीओई सख्त कार्रवाई किए बिना केवल आदेश पारित करता रहता है।